यूक्रेन में संसदीय चुनाव
३० सितम्बर २००७राष्ट्रपति विक्तोर यूशेंको और प्रधानमंत्री विक्तोर यानुकोविच के बीच महीनों के सत्ता संघर्ष के बाद इस चुनाव से राजनैतिक परिस्थिति में स्पष्टता आने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन चुनाव के दिन ऐसा नहीं लग रहा. देश के लगभग पौने चार करोड़ मतदाता क्या फ़ैसला लेंगे कोई जनमत संग्रह साफ नहीं कर पाया है.
पलड़े के एक ओर पश्चिम समर्थक लोकतांत्रिक ताक़तें हैं जिनका नेतृत्व पूर्व प्रधानमंत्री यूलिया टीमोशेंको और राष्ट्रपति यूशेंको कर रहे हैं तो दूसरी ओर रूस समर्थक ताक़तें हैं जिनका नेतृत्व प्रधानमंत्री यानुकोविच कर रहे हैं.
तीन साल पहले हुई नारंगी क्रांति का रंग उड़ चुका है. राजधानी में प्रगति हो रही है लेकिन देहाती इलाक़ों में यह प्रगति नहीं दिख रही है और उसके अलावा क्रांति के भागीदार रहे राजनीतिज्ञों में आपसी झगड़ा. राष्ट्रपति यूशेंको देश का सौभाग्य चुनावों में देख रहे हैं, कहते हैं हम भगवान के साथ जीते हैं और संविधान की भावना में फ़ैसला करते हैं.
दूसरी ओर प्रधानमंत्री यानुकोविच हैं जो क्रांति के समय लोकतांत्रिक ताक़तों के विरोधी थे, फिर अचानक राष्ट्रपति के सहयोगी बने और फिर राष्ट्रपति के विरोधी जो हर हाल में मध्यावधि चुनावों को टालना चाहते थे. उनका कहना है कि उन्हें पूरा भरोसा है कि मध्यावधि चुनावों का न तो आर्थिक और न ही सामाजिक आधार है.
और इस मंच की तीसरी खिलाड़ी यूलिया टीमोशेंको, पहले क्रांति के दौर में राष्ट्रपति की सहयोगी रहीं, राष्ट्रपति द्वारा फिर प्रधानमंत्री नियुक्त की गई, हटाई गई और अब एक बार फिर राष्ट्रपति के साथ हैं. उनका कहना है कि चुनावों से डर नहीं होना चाहिए.
राजनीतिज्ञों के इस खेल में जनता मोहरा भी है और फ़ैसला लेने वाली संप्रभु ताक़त भी. तीन साल में तीसरा चुनाव. आरंभिक चुनाव परिणामों की घोषणा सोमवार को होगी. और तब पता चलेगा कि जनता अपने देश को किस ओर ले जाना चाहती है.