यूक्रेन: रास्ता अभी लंबा है
१८ अगस्त २०१४वार्ता का आयोजन बर्लिन में किया गया. जर्मनी के विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने कहा कि बातचीत मुश्किल थी लेकिन कुछ मामलों में बेहद साफ बात हुई और प्रगति दिखाई दी. वार्ता खत्म होने पर यूक्रेन के विदेश मंत्री पावलो क्लिमकिन ने ट्वीट किया, "ये सबसे मुश्किल वार्ता के पांच घंटे थे. सफल होने के लिए शायद और भी कई बार पांच घंटे के लिए मिलना जरूरी है."
वार्ता का मकसद था यूक्रेन में जारी हिंसा को रोकना और विवाद का हल निकालना. बैठक में यूक्रेन के हालात, विदेशी सहायता, राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने के उपाय और संभावित संघर्ष विराम जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई. रूस के विदेश मंत्रालय के अनुसार वार्ता में इस बात पर जोर दिया गया कि जल्द से जल्द संघर्ष को रोका जाए और यूक्रेन के पास रूस से लगी उसकी सीमा पर नियंत्रण हो. साथ ही नागरिकों को आवश्यक मदद पहु्ंचाई जाए. रूसी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया कि इन सभी दिशाओं में थोड़ी प्रगति हुई है.
नए प्रतिबंधों की संभावना
रूसी अखबार वेदोमोस्ती के मुताबिक अगर अमेरिका सहित पश्चिमी देश रूस पर कोई नए प्रतिबंध लगाते हैं तो संभव है कि रूस विदेशी कारों के आयात पर प्रतिबंध लगा दे. यूक्रेन मामले में रूस के रवैये की पश्चिमी देश आलोचना करते आए हैं लेकिन रूस पर इस नाराजगी का कोई असर दिखाई नहीं देता. रूस पर आरोप है कि यूक्रेन में वह अलगाववादियों को हथियार मुहैया करा रहा है. पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों में बैंकिंग और ऊर्जा क्षेत्रों के प्रतिबंध शामिल हैं. इसके जवाब में पिछले दिनों रूस ने भी यूरोपीय संघ और अन्य देशों से दूध उत्पादों और फल सब्जियों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
अखबार के मुताबिक 2014 में अब तक आयात किए गए वाहनों में 27 फीसदी कारों की बिक्री हुई है. 46 फीसदी ट्रक और 13 फीसदी बसें आयात की गई हैं. पश्चिमी देशों की नाराजगी के कारण अगर उस पर और प्रतिबंध लगाए गए तो वेदोमोस्ती के मुताबिक वह कुछ हद तक या पूरी तरह भी वाहनों का आयात बंद कर सकता है.
एसएफ/एएम (एएफपी, रॉयटर्स)