यूपीए और डीएमके को बात बनने की उम्मीद
६ मार्च २०११तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और डीएमके के बीच सीटों को बंटवारे पर मतभेद दोनों पार्टियों के सात साल पुराने गठबंधन की टूट की वजह बने. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस घटनाक्रम पर संयमित प्रतिक्रिया दी. वह अब भी सीटों के बंटवारे का विवाद सुलझ जाने की उम्मीद जता रहे हैं. वह कहते हैं, "इस बारे में अभी कुछ कहने की जरूरत नहीं है. यह कदम ऐसे वक्त उठाया गया है जब बातचीत पूरी भी नहीं हो पाई. इस बारे में कुछ बोलने से बात और बिगड़ सकती है."
नाम न जाहिर करने की शर्त पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "हम इस बारे में तब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकते, जब तक डीएमके हमें अपने फैसले के बारे में खुद नहीं बताएगी." डीएमके केंद्र में सत्ताधारी यूपीए गठबंधन से नाता तोड़ने वाली पहली पार्टी है. उसके लोकसभा में 18 सांसद है. वह यूपीए में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बाद तीसरे बड़े साझीदार की हैसियत रखती थी. 2004 में आम चुनावों से पहले दोनों पार्टियों ने गठबंधन कायम किया था.
दोनों पार्टियों के बीच आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सीटों के बंटवारे पर बातचीत नाकाम होने के बाद डीएमके ने शनिवार को कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन से अलग होने का एलान कर दिया. डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एक करुणानिधि ने कांग्रेस पर अनुचित मांग करने का आरोप लगाया. शनिवार को उनके निवास पर हुई पार्टी की उच्चस्तरीय समिति की बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटने और मुद्दों पर आधारित समर्थन देने का फैसला किया गया.
डीएमके का कहना है कि वह कांग्रेस को 60 सीटें देने को तैयार हो गई लेकिन इसके बाद कांग्रेस 63 सीटें मांगने लगी. अपने छह मंत्रियों को मनमोहन मंत्रिमंडल से हाटने का एलान करते हुए करुणानिधि ने साफ किया कि यूपीए को मुद्दों पर आधारित समर्थन जारी रहेगा.
इस बीच, डीएमके के वरिष्ठ नेता टीआर बालू ने संकेत दिया है कि उनकी पार्टी अपने मंत्रियों को कैबिनेट से हटाने के फैसले पर फिर से विचार कर सकती है, बशर्ते कांग्रेस सीटों के बंटवारे पर अपने रुख में नरमी दिखाए. बालू ने कहा कि डीएमके के छह मंत्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात के बाद ही अपने इस्तीफे देंगे. तुरंत इस्तीफे फैक्स करने का कोई विचार नहीं है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एन रंजन