यूरोप को भाता ऊंटनी का दूध
२५ नवम्बर २०१०नीदरलैंड्स के पुलिस अफसरों को पहले तो अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं आया, जब ऐम्स्टरडम के निकट डेन बोश के में उन्होंने देखा कि मैदान में तीन ऊंटनियां चर रही हैं. पास में मोरक्को से आए आप्रवासी रहते थे. जाहिर है कि उन्हीं से पूछताछ की गई. उन्होंने कहा कि उनका इससे कोई लेनादेना नहीं है. पास में एक डच छात्र रहता है, फ्रांक स्मिट्स. ये ऊंटनियां उसी की हैं.
फ्रांक स्मिट्स यूरोप के अकेले ऊंट फार्म के मालिक हैं. वह कहते हैं, "मुझे ऊंट पसंद हैं. ऊंटनी के दूध और मां के दूध में अधिक समानता है." इस बीच कामेलकेरिज स्मिट्स नामक यह फार्म सारे देश में मशहूर हो गया है. विदेश से भी सैलानी आते हैं उसे देखने के लिए. जर्मनी से आई एक महिला कहती हैं, "इसका स्वाद गाय के दूध जैसा है, लेकिन मिठास कम है. अगर सुपर मार्केट में मिलता, मैं तो खरीदती."
स्मिट्स का सपना है कि किसी दिन हर सुपर मार्केट में ऊंट का दूध बिकेगा. वह ध्यान दिलाते हैं कि यह गाय के दूध से कहीं ज्यादा पौष्टिक है. इसमें शर्करा और वसा कम है. काफी मात्रा में विटामिन सी और खनिज लवण भी हैं. साथ ही इसमें बीटा और लैक्टो ग्लोबुलिन नहीं है, जिनकी वजह से एलर्जी होती है.
फ्रांक के पिता डॉक्टर मार्सेल स्मिट्स भी कहते हैं कि डायाबिटीज के रोगियों के लिए ऊंट का दूध फायदेमंद हो सकता है. यह यूरोप में एक हेल्थ फूड बन सकता है. नीदरलैंड्स के वागेनिंगेन विश्वविद्यालय में हेल्थ फूड पर काम किया जा रहा है और स्मिट्स के इस फार्म में उनकी काफी दिलचस्पी है.
अरब के रेगिस्तान व उत्तरी अफ्रीका के बेदुइन बनजारों के बीच लंबे समय से माना जाता रहा है कि ऊंट का दूध बहुत पौष्टिक होता है. यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन ने भी माना है कि इसमें काफी पौष्टिक तत्व होते हैं.
फिलहाल स्मिट्स कुछ एक डच दुकानों और मोरक्को, तुर्की व सोमालिया से आए आप्रवासियों की दुकानों में अपना दूध बेच रहे हैं. यह दूध बेचने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने में उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी, क्योंकि यूरोप के देशों में ऊंटनी के दूध को पीने लायक नहीं माना जाता था. उन्होंने ऊंटनी का दूध दुहने के लिए एक खास मशीन भी तैयार की है. साथ ही उन्हें एक दिलचस्प बात का पता चला है: ऊंटनी तभी दूध देती है, अगर उसका बच्चा बगल में खड़ा हो.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: ए कुमार