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'योग से सुलझेगा अफगान मुद्दा'

७ दिसम्बर २०११

अफगान राजधानी काबुल के एक जेल में जब पहरेदारों को आराम करने का वक्त मिलता है तो उसमें वे योग करना पसंद करते हैं और मन की शांति के जरिए देश में शांति लाना चाहते हैं.

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तस्वीर: shoot4u/Fotolia

फ्रांस की योग गुरु अमॉन्दीन रोश जिंदगी का मतलब ढूंढने निकली हैं. उनका मानना है कि दुनिया में लड़ाई खत्म करने के लिए और उसके घावों को लोगों की जिंदगी से मिटाने के लिए अंतर्मन को शांत करना होगा.

रोश की मानें तो तालिबान, पश्चिमी देशों के सैनिकों और अफगान सुरक्षाकर्मियों को योग करना चाहिए ताकि वे आपस में भाईचारे और प्रेम के साथ रह सकें. वो कहती हैं, "आप सब रुकते क्यों नहीं हैं. 30 साल से यह सब चल रहा है. आराम से बैठो और दिमाग ठंडा करो."

हिंसा से जूझते एक देश के लिए योग के जरिए समाधान ढूंढना मुश्किल हो सकता है. रोश के रास्ते में कई बाधाएं हैं. अब तक रोश की यह कोशिश छोटे स्तर पर ही है और वे खुद अपने पैसों से इसे चला रही हैं. उन्होंने आपस में भिड़ रहे गुटों के प्रतिनिधियों से बात भी की है.

BdT Yoga in der indischen Armee
भारतीय सेना में योग सिखाया जाता हैतस्वीर: AP

मिसाइलों और बंदूकों से लड़ रहे सिपाहियों को सूर्यनमस्कार और सर्वांगआसन शायद कुछ अजीब लग सकता है, लेकिन रोश की बातों को कुछ अमेरिकी अफसर गंभीरता से ले रहे हैं. मेजर टीजी टेलर कहते हैं कि उनके वरिष्ठ अधिकारियों को यह योजना पसंद आई है. कुछ अफसर नए विचारों को आगे बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन टेलर के बाद वहां आए अफसरों ने इस योजना पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. कप्तान केविन आंडाल का कहना है, "हमने इसे प्रयोग के तौर पर शुरू किया, लेकिन कुछ बात नहीं बनी." लेकिन रोश के जोश की कोई सीमा नहीं. वे अब भी काबुल में नाटो सैनिकों को हफ्ते में दो बार योग सिखाती हैं. हर बार कम से कम 16 सैनिक उनके कार्यक्रम में शामिल होते हैं.

तालिबान के लड़ाके भी योग में दिलचस्पी ले रहे हैं. एक पूर्व कमांडर को योगविद्या के करीब लाने की कोशिश लेकिन बहुत कामयाब नहीं रही. बामियान में अफगान सैनिकों के कमांडर गुलाम अली बटूर का कहना है कि उनके सैनिकों ने भी योग करने की कोशिश की लेकिन कट्टर मुस्लिम समाज में योग को लोगों के करीब लाना किसी चुनौती से कम नहीं है. साथ ही, हिंसा अफगान समाज में अंदर तक घुस गई है. देश में जनता की मनोवैज्ञानिक हालत भी बातचीत का मुद्दा नहीं है.

Frauen während Yoga im Iran
ईरान में भी योग लोकप्रिय हैतस्वीर: DW

रोश का मानना है कि योग और ध्यान के जरिए अफगान लोग अपने हिंसक इतिहास को समझ सकते हैं. रोश कहती हैं, "मैं उन्हें एक ऐसा यंत्र दे सकती हूं जिससे कि वह अपने मन को नियंत्रण में रखें क्योंकि उन्हें बहुत सदमा पहुंचा है. उनको मानसिक स्वास्थ्य के बारे में कुछ नहीं पता है."

रोश कहती हैं कि अफगानिस्तान की अपनी योग परंपरा है. फ्रंटियर गांधी के नाम से विख्यात खान अब्दुल गफ्फार खान भी योग करते थे. अब तक रोश की सबसे बड़ी सफलता काबुल की सड़कों पर गरीब बच्चों को योग सिखाने के रूप में मिली है. छोटी लड़कियों को एक कमरे में बिठा कर रोश मोमबत्ती की रोशनी में उन्हें योग के आसन सिखाती हैं. 11 साल की रोकिया को इसके फायदे दिख रहे हैं, कहती है, "मेरा मन इससे शांत हो जाता है और मेरी पढ़ाई में मदद मिलती है."

रिपोर्टः एएफपी/एमजी

संपादनः एन रंजन

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