रक्षा मंत्री रूस की यात्रा पर
५ अक्टूबर २०११दोनों देशों के रक्षामंत्री सहयोग बढ़ाने के मामले में बातचीत करेंगे. हथियारों की डिलीवरी में तेजी लाने के साथ ही नेर्पा की तरह के परमाणु पनडुब्बियों को भारत 10 साल के लिए लीज पर लेने की तैयारी कर रहा है. माना जा रहा है कि दोनों मंत्रियों के बीच अयनी हवाई एयरबेस को संयुक्त रूप से इस्तेमाल करने के मुद्दे पर भी बातचीत होगी. यह एयरबेस ताजिक राजधानी दुशान्बे के पास है. भारतीय वायु सेना ने इसका आधुनिकीकरण किया है. दिल्ली से मास्को जाते वक्त रक्षामंत्री का विमान तकनीकी कारणों से कुछ देर के लिए अयनी एयरबेस पर उतरा भी.
रूसी रक्षा मंत्री सर्दियूकोव और भारतीय रक्षा मंत्री सैन्य सहयोग पर भारत रूस अंतर्सरकारी आयोग यानी आईआरआईजीसी-एमसी की बैठक की संयुक्त रूप से अध्यक्षता भी करेंगे. आईआरआईजीसी-एमसी एक केंद्रीय संगठन है जो लंबे समय से सैन्य तकनीक पर बातचीत के जरिए सैन्य सहायता को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहा है. फिलहाल इसकी समय सीमा 2020 तक रखी गई है. भारत और रूस अकेले ऐसे देश हैं जिन्होंने किसी विदेशी मुल्क के साथ इस तरह का कोई कार्यक्रम शुरू किया है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एडमिरल गोर्शकोव विमानवाहक युद्धपोत को सजाने संवारने में बढ़े खर्च और उसे भारत को सौंपने में हुई देरी से आगे निकल कर दोनों देश सैन्य सहयोग की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. उनके मुताबिक आईएनएस विक्रमादित्य के रूप में भारतीय सेना में शामिल होने वाले युद्धपोत के आधुनिकीकरण का काम तय समय सीमा से दो महीने आगे चल रहा है और रूस इसे दिसंबर 2012 तक भारत को सौंपने में कामयाब हो जाएगा.
दोनों देश अब पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों और सेना के लिए कई भूमिकाओं वाले परिवहन विमान तैयार करने की योजना पर ध्यान दे रहे हैं. संयुक्त उपक्रम में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की सफलता के बाद दोनों देश अपने संबंधों को खरीदने वाले और बेचने वाले से बदल कर साथ तैयार करने वाले के रूप में ढाल रहे हैं. भारत पश्चिमी देशों और अमेरिका से हथियारों की खरीदारी शुरू करने के बावजूद रूसी सैनिक साजो सामान का सबसे बड़ा खरीदार है. भारत भले ही दूसरे देशों से भी हथियार खरीद रहा हो लेकिन अपने पुराने साथी को उसने भुलाया नहीं है.
रिपोर्टः पीटीआई/एन रंजन
संपादनः ईशा भाटिया