राजनीति की पिच पर जयसूर्या
१ मार्च २०१०8 अप्रैल को जयसूर्या अपने संसदीय क्षेत्र मतारा से चुनाव लड़ेंगे. वे राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे की फ़्रीडम अलायंस पार्टी की तरफ से चुनावों में खड़े हो रहे हैं. उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से तो छुट्टी ले ली है.
1996 में श्रीलंकाई टीम के कप्तान रहे अर्जुन राणतुंगा का कहना है कि खेल में रहते हुए राजनीति में कदम रखना सही नहीं है. हालांकि राणतुंगा भी अब राजनीति में हैं, लेकिन उनका कहना है कि उन्होंने खेल छोड़ने के बाद ही राजनीति को अपनाया.
क्रिकेट टीम में खिलाड़ियो का चुनाव और सत्ताधारी पार्टी, दोनों की आलोचना करते हुए राणतुंगा ने कहा, "अब से जो भी खिलाड़ी टीम में नहीं चुना जाएगा, उसे सत्ताधारी पार्टी में जगह दी जाएगी." जयसूर्या और राजपक्षे एक दूसरे के करीब माने जाते हैं. 2006 में जब जयसूर्या को बुरे फॉर्म की वजह से रिटायर होना पड़ा था, तब राजपक्षे ने निजी तौर पर उनकी वापसी की वकालत की थी.
उधर जयसूर्या का कहना है कि ऐसा कोई क़ानून नहीं है जो खिलाड़ियों को राजनीति में हिस्सा लेने से रोकता हो. और अगर इन दोनों को अलग रखा जाए तो कोई परेशानी नहीं होगी.
खेल मंत्री ने भी जयसूर्या का पक्ष लेते हुए कहा है कि सांसद बनने के बाद भी अगर खिलाड़ी खेल की ओर ध्यान दे सकते हैं, तो कोई समस्या नहीं है.
जयसूर्या के मुताबिक खेलों में उनकी आकांक्षाएं उनके राजनीतिक लक्ष्यों से अलग है लेकिन उनके आलोचक कहते हैं कि क्रिकेट में ढलते कैरियर को देखते हुए वे राजनीति में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
रिपोर्टः एएफ़पी/एम गोपालकृष्णन
संपादनः आभा मोंढे