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राजनीति में उग्र दक्षिणपंथ और महिलाएं

२३ जून २०११

जर्मनी की चांसलर एक महिला हैं. यहां राजनीति में कई महत्वपूर्ण पदों पर महिलाएं हैं. पिछले कुछ सालों में जर्मनी की उग्र दक्षिणपंथी पार्टी एनपीडी में भी महिलाओं की बढ़ती भूमिका देखी गई है. एक नई किताब में इसी बात पर चर्चा.

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Junge rotharrige lächelnde Frau im Anzug

यह हैरानी की बात इसलिए है क्योंकि आम तौर पर पुरुषों को ही उग्र दक्षिणपंथ के साथ जोड़ कर देखा जाता है. महिलाओं की इस नई छवि की चर्चा की है दो पत्रकारों आन्द्रेआ रोएपके और आन्द्रेआस श्पाईट ने अपनी नई किताब 'मेडलजाखे' में.

Buchcover Mädelsache - Frauen in der Neonazi-Szene von Andrea Röpke und Andreas Speit
तस्वीर: Christoph Links Verlag

नारी सशक्तिकरण

'मेडलजाखे', अंग्रेजी में गर्ल-टॉक और हिंदी में लड़कियों की बातें. नाम से ऐसा लगता है जैसे इसमें लड़कियों के लिए फैशन टिप्स दिए गए होंगे या फिर नए ट्रेंड्स के बारे में बताया गया होगा. लेकिन इसके विपरीत यह किताब है राजनीति और नवनाजीवाद में महिलाओं की बदलती भूमिका के बारे में है. यह किताब जर्मनी के दो पत्रकारों आन्द्रेआ रोएपके और आन्द्रेआस श्पाईट ने लिखी है.

रोएपके बताते हैं कि महिलाएं अब राजनीति में अपना हिस्सा मांग रही हैं, "हमने हाल के सालों में देखा है कि महिलाएं भी उग्र दक्षिणपंथियों के साथ जुड़ रही हैं. वे नहीं चाहतीं कि पुरुष अकेले ही राजनीति करें. पश्चिम जर्मनी में नारी सशक्तिकरण आंदोलन के चालीस साल बाद महिलाओं ने कहना शुरू कर दिया है कि राजनीति हमारे बिना नहीं चल सकती."

सहानुभूति के वोट

यह बात जर्मनी की नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी यानी एनपीडी में साफ साफ झलक रही है. दरअसल जर्मनी की एनपीडी पार्टी दूसरे विश्व युद्ध के बाद निओ-नाजी पार्टी के रूप में उभर कर आने वाली सबसे महत्वपूर्ण पार्टी है. कट्टरपंथी होने के नाते इस पार्टी में हमेशा पुरुषों का ही दबदबा रहा. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. रोएपके मानते हैं कि महिलाओं की मौजूदगी से पार्टी को सहानुभूति के वोट मिलने की संभावना बन जाती है.

Anhaenger der NPD halten am Freitagabend, 11 .September 2009 waehrend einer Kundgebung in Hamburg Fahnen. Rund 50 Anhaenger der NPD wurden von mehreren Hundert Gegendemonstranten bei ihrer Veranstaltung gestoert. (AP Photo/Fabian Bimmer) Supporters of Germany's right-wing-party NPD hold banners during a demonstration in Hamburg, Germany, on Friday, Sept.11, 2009. Some hundreds protestors demonstrated against the meeting of the right-wing supporters. (AP Photo/Fabian Bimmer)
तस्वीर: AP

एक घरेलू महिला जब राजनीति में उतरती है तो वह लोगों का दिल जीतने में कामयाब होती है, रोएपके कहते हैं, "एनपीडी ने इस बात पर बहुत जोर दिया है कि महिलाओं को सामने लाया जाए. ऐसा इसलिए कि उन्होंने यह बात समझ ली है कि यदि चुनाव के समय महिलाएं पर्चे बांटें या फिर अगर वे आपके दरवाजे पर आ कर खटखटाएं, या मान लीजिए कि वे रैलियों में भाषण दें, तो लोग उन्हें सुनते हैं. शायद ऐसा इसलिए है कि लोगों को लगता है कि अगर महिलाएं भी इसमें शामिल हैं तो यह इतना बुरा तो नहीं हो सकता. और एनपीडी इसी बात का बेशर्मी से फायदा उठा रही है. औरतें को भी यह भूमिका निभाने में कोई हर्ज नहीं है."

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तस्वीर: Fotolia/tagstiles

झूठी छवि

रोएपके ने किताब में कड़े शब्दों में लिखा है कि इस तरह की महिलाएं समाज में आपके और हमारे साथ मिल कर रह रही हैं. लोग उन्हें देख कर सोचते हैं कि वे बहुत मॉडर्न और खुले विचारों की हैं, लेकिन सच्चाई इससे परे है. इन महिलाओं ने कई संगठन भी बनाए हैं, जिनमें से सबसे जाना माना है 'गेमाइनशाफ्ट डोएचर फ्राओएन' यानी जर्मन महिलाओं का संघ. रोएपके कहते हैं कि यदि उनके संविधान को देखा जाए तो सच्चाई का पता चलता हैं.

वह कहते हैं, "उनके संविधान में लिखा है: राजनीति में उतरना एक बात है, लेकिन पांच या छह बच्चे पैदा करना और उन्हें अच्छी परवरिश देना, यह एक सच्ची जर्मन नारी का धर्म है. वे अपने आपको गर्व के साथ मुटरफ्राओअन कहती हैं यानी उनकी पहचान केवल एक महिला होने के नाते नहीं बल्कि मां होने के नाते बनती है."

बहकावे में ना आएं

निओ-नाजी आम तौर पर अपने शरीर पर कुछ ऐसे टैटू बना कर रखते हैं जिन्हें देख कर उनकी पहचान हो सके. हालांकि राजनीति में आ रही इन महिलाओं की छवि इससे बिलकुल अलग है. रोएपके अपनी किताब के जरिए लोगों को यह संदेश दे रहे हैं कि वे इस बहकावे में ना आएं. वह कहते हैं, "हमें यहां थोड़ी समझदारी से पेश आना चाहिए और इस बात को समझना चाहिए कि अगर वह महिला आपको बहुत मोहक लग रही है, वह बात करने में निपुण है, उसने बहुत अच्छे कपड़े पहने हैं और आपको उसके शरीर पर कोई टैटू नहीं दिख रहें हैं या इस तरह का और कुछ भी, इस सब के बावजूद हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आखिरकार ये वही महिलाएं हैं जो सोच समझ कर राजनीति में घुस रही हैं और वे पूरी कोशिश कर रही हैं कि इस तरह से वे राजनीति का हिस्सा बन सके."

Vor der Staatsschutzkammer des Landgerichts Dresden sitzt am Mittwoch (06.08.2008) der Angeklagte Peter W. aus der inzwischen verbotenen Neonazi-Gruppe "Sturm 34". Er wartet gemeinsam mit vier anderen Angeklagten auf das Urteil. Er erhielt eine Jugendstrafe von drei Jahren. Foto: Matthias Hiekel dpa/lsn +++(c) dpa - Bildfunk+++
तस्वीर: picture-alliance/dpa

रिपोर्ट: हाइडी जॉलटाउ/ईशा भाटिया

संपादन: ए कुमार

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