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राजेश खन्ना का निधन

१८ जुलाई २०१२

हिन्दी फिल्मों के पहले सुपर स्टार और बॉलीवुड के रोमियो राजेश खन्ना का मुंबई में निधन हो गया. खन्ना जितना चॉकलेटी छवि के लिए जाने गए, उतना ही फिल्म आनंद के नायक के रूप में, जिसे हिन्दी सिनेमा का मील का पत्थर माना जाता है.

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तस्वीर: AP

राजेश खन्ना 69 साल के थे. उन्होंने मुंबई में अपने घर पर आखिरी सांस ली. पिछले दिनों बीमार चल रहे खन्ना दो दिन पहले ही अस्पताल में रहकर लौटे थे.

उनका पहनावा, उनके डांस का अलग अंदाज और मुस्कुराते हुए डायलॉग बोलने का तरीका उन्हें बॉलीवुड में अलग जगह देता है. इन्हीं अदाओं के बल पर राजेश खन्ना ने फिल्मों में कदम रखा और 1960 के दशक में छा गए.

अपनी ऊंचाइयों के दौर में राजेश खन्ना की कार को चुंबन करने वाली लड़कियों की लाइन लगी होती थी. जिस रास्ते से खन्ना गुजरते, उन्हें देखने के लिए लोगों का तांता लगा रहता और बॉलीवुड में कहानियां हैं कि लड़कियां अपने खून से उन्हें प्रेम पत्र लिखा करतीं.

राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना था और वह 29 दिसंबर, 1942 में पैदा हुए. वह जब छोटी उम्र के थे, तभी उन्हें गोद ले लिया गया. खन्ना के चाचा को जब पता चला कि वह फिल्मों में जाना चाहते हैं, तो उन्होंने उनका नाम बदल कर राजेश रख दिया.

1965 में भारत में फिल्मफेयर और यूनाइटेड प्रोड्यूसर का टैलेंट सर्च कार्यक्रम हुआ, जिसे राजेश खन्ना ने जीत लिया. इसके अगले साल देवानंद के भाई चेतन आनंद की फिल्म "आखिरी खत" में उन्हें पहला किरदार मिला. दूसरी फिल्म राज थी, जो काफी चर्चा में रही. इसके बाद उन्होंने बहारों के सपने, औरत, डोली और इत्तेफाक जैसी फिल्में कीं.

लेकिन उनकी असली कामयाबी 1969 में आई, जब आराधना रिलीज हुई. शर्मिला टैगोर के साथ इस फिल्म में राजेश खन्ना ने वह जलवा दिखाया कि वह पूरी इंडस्ट्री पर छा गए. इसी फिल्म में किशोर कुमार भी एक प्लेबैक सिंगर के रूप में स्थापित हो गए. दुनिया कहने लगी कि किशोर की आवाज राजेश खन्ना के लिए ही बनी है.

आराधना के बाद 1971 में हाथी मेरे साथी रिलीज हुई और यह फिल्म भी शानदार हिट रही. यह उस समय तक की सबसे बड़ी हिट फिल्म बन गई. खन्ना ने कुल 163 फिल्मों में काम किया, जिनमें से 102 में वह अकेले हीरो थे, जबकि 22 दो हीरो वाली फिल्में थीं. उन्होंने 1969 से 1972 के बीच 15 लगातार हिट फिल्में दीं, जो अभी भी बॉलीवुड के लिए एक रिकॉर्ड है.

उन्होंने तीन बार फिल्मफेयर अवार्ड जीते, जबकि 14 बार उनका नाम इसके लिए प्रस्तावित किया गया. उन्हें 2005 में फिल्मफेयर लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड दिया गया.

अपने रोमांटिक इमेज के बाद भी राजेश खन्ना ने अलग अलग तरीके की भूमिका निभाई है. उन्होंने आनंद में यादगार रोल किया है, जिसमें वह कैंसर के मरीज हैं, बावर्ची में वह रसोइया बने हैं, अमर प्रेम में अकेले पति और खामोशी में एक पागल का किरदार निभाया है. उनके समय की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रियां शर्मिला टैगोर और मुमताज के साथ उनकी जोड़ी बहुत चली.

अमिताभ बच्चन के बॉलीवुड पर उभरने के साथ ही राजेश खन्ना का स्वर्ण काल खत्म हो गया. हालांकि बाद में भी उन्होंने अवतार, फिर वही रात, दर्द और अगर तुम न होते जैसी फिल्में दीं. वह जितना तेजी से ऊपर चढ़े, उतनी ही तेजी से फिसल गए. वह 1991 से 1996 तक कांग्रेस के लोकसभा सांसद भी रहे.

फिल्म इंडस्ट्री में उनके साथ तीन अदाकाराओं का नाम जोड़ा गया. 1970 के दशक में वह अंजू महेंद्रू के बेहद करीब थे लेकिन 1973 में उन्होंने अचानक अपने से 15 साल छोटी डिंपल कपाड़िया से शादी कर ली. दोनों की दो बेटियां हैं, रिंकी खन्ना और ट्विंकल खन्ना. बाद में 1984 में दोनों अलग हो गए लेकिन औपचारिक तौर पर कभी तलाक नहीं लिया. इस बीच राजेश खन्ना का रोमांस टीना मुनीम के साथ भी चला, जो अब अनिल अंबानी की पत्नी हैं.

एजेए/एमजे (पीटीआई)