"रामदेव के शिविर में न जाएं मुसलमान"
८ नवम्बर २००९उलूम के फ़तवा विभाग के उप प्रमुख सूफ़ी मुफ़्ती एहसान काज़मी ने कहा, "वंदे मातरम् एक प्रार्थना है और यह इस्लामी क़ानून के ख़िलाफ़ है क्योंकि मुसलमान अल्लाह के अलावा किसी और की प्रार्थना नहीं कर सकते." हालांकि उन्होंने कहा कि व्यायाम के तौर पर योग किया जा सकता है.
एक अन्य मुस्लिम धार्मिक नेता मुफ़्ती एहसान ने कहा कि मुसलमानों को योग शिविरों के दौरान वंदे मातरम् गाने से बचना चाहिए. दारुल उलूम ने वंदे मातरम् के ख़िलाफ़ एक फ़तवा जारी किया है जिसका जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने देवबंद में अपनी 30वीं महासभा के समर्थन किया. देवबंद की बैठक में रामदेव भी शामिल हुए थे और उन्होंने प्राणायाम करके दिखाया था जिसे दो लाख लोगों ने देखा था. इसमें मुस्लिम धार्मिक नेता और छात्र शामिल थे. यही नहीं, इस बैठक में एक हिंदू पुजारी ने वैदिक मंत्रोच्चार भी किया.
वंदे मातरम् के विरोध फ़तवे पर विश्व हिंदू परिषद तीखा विरोध जता चुका है. उसका कहना है कि वंदे मातरम् एक राष्ट्रीय गीत है और किसी धर्म के ख़िलाफ़ नहीं है, इसलिए इसे गाया जाना चाहिए और इसका सम्मान होना चाहिए. 143 साल पुराने दारुल उलूम ने पहले कभी योग के पक्ष में भी फ़तवा जारी किया था, जबकि अन्य धार्मिक नेता मुसलमानों के योग अभ्यास करने पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करते रहे हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़