रामलीला मैदान कांड: सु्प्रीम कोर्ट जाएंगे अन्ना
१७ जुलाई २०११दिल्ली में अन्ना हजारे ने कहा कि वह रामलीला मैदान पर हुई पुलिसिया कार्रवाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग करेंगे ताकि सरकार 16 अगस्त से होने वाले उनके अनशन को न दबा सके. "सरकार ने कहा है कि वह अन्ना हजारे के अनशन को उसी तरह खत्म करेगी जैसे बाबा रामदेव के साथ किया गया. यह लोकतंत्र है या फिर तानाशाही है. तुम ऐसी कार्रवाई नहीं कर सकते. इसलिए हम सोमवार को सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं."
काला धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन कर रहे बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर रामलीला मैदान में 4 जून की रात को पुलिस ने कार्रवाई की और आंसू गैस के गोले छोड़े. पुलिस ने रामदेव को हिरासत में लिया और 15 दिन तक दिल्ली न आने की चेतावनी देकर हरिद्वार छोड़ दिया.
अन्ना हजारे का कहना है कि भारतीय संविधान हर नागरिक को लोकतांत्रिक ढंग से विरोध करने की आजादी देता है और वह 16 अगस्त से अपना आमरण अनशन शुरू करेंगे. "संविधान में हर नागरिक के पास यह अधिकार है कि वह अपना विरोध दर्ज कराए. हम 16 अगस्त से अपना अनशन शुरू करेंगे."
लोकपाल बिल पर सहमति बनाने की तमाम कोशिशों के बावजूद सरकार और अन्ना हजारे के नेतृत्व वाली सिविल सोसाइटी आमराय पर नहीं पहुंच पाई. जिसके बाद अन्ना ने घोषणा की थी कि वह अगस्त में अनशन शुरू करेंगे. अन्ना की मांग है कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाया जाना चाहिए लेकिन सरकार इसका विरोध कर रही है. वैसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कह चुके हैं कि उन्हें लोकपाल के दायरे में आने से कोई परेशानी नहीं है लेकिन कैबिनेट में कुछ सहयोगी इसके खिलाफ हैं.
दो महीनों तक सरकार और सिविल सोसाइटी प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की बातचीत हुई जिसके दोनों पक्ष अंतिम मसौदे पर असहमत होने पर सहमत हो गए. सरकार का कहना है कि वह एक ऐसा समानांतर ढांचा तैयार नहीं कर सकती है जिसकी किसी के सामने जवाबदेही नहीं होगी. इस महीने के शुरू में लोकपाल बिल के मुद्दे पर एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई गई जिसमें हर पार्टी ने कड़े और प्रभावी लोकपाल बिल को समर्थन देने के लिए कहा है.
राजनीतिक दलों के मुताबिक इस बिल को संसद के मॉनसून सत्र में पेश किया जाना चाहिए और इसके जरिए संसद की सर्वोच्चता और संसदीय प्रक्रिया को बरकरार रखा जाना चाहिए. सरकार और सिविल सोसाइटी के पास लोकपाल बिल के दो मसौदे हैं और दोनों में कई मुद्दों पर मतभेद हैं. अन्ना की मांग है कि सरकार को दोनों बिल संसद में रखने चाहिए, लेकिन सरकार का कहना है कि जो भी बिल कैबिनेट पास करेगी उसे संसद में रखा जाएगा.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ईशा भाटिया