रिकॉर्ड हिंसा के बीच कामयाबी का दावा
१६ दिसम्बर २०१०रिपोर्ट का कहना है कि सहबंध सेनाएं तालिबान और अल कायदा के खिलाफ सफलताएं हासिल कर रही हैं लेकिन गंभीर चुनौतियां बाकी हैं. रिपोर्ट के अवर्गीकृत सारांश ने पाया है, "अफगानिस्तान में हाल के सालों में तालिबान के आगे बढ़ने को देश के अधिकांश भागों में रोक लिया गया है और कुछ मुख्य क्षेत्रों में उसे पलट दिया गया है, हालांकि ये उपलब्धियां कमजोर और उलट दी जाने वाली हैं."
समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार, "सबसे महत्वपूर्ण बात, पाकिस्तान में अल कायदा का नेतृत्व कमजोर पड़ गया है और 2001 में अफगानिस्तान से भागने के बाद से अधिक दबाव में है." रिपोर्ट में पाकिस्तान को क्षेत्र में सफलता के लिए केंद्रीय बताते हुए कहा गया है कि अल कायदा कमजोर हुआ है लेकिन अभी भी अमेरिका पर हमला करने की क्षमता रखता है.
लंबे समय से प्रतीक्षित रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका 2011 में अपने सैनिकों की संख्या घटाने और अफगान सैनिकों को जिम्मेदारी देने की शुरुआत करने की राह पर है. लेकिन साथ ही कहा गया है कि 2014 से पहले पूरी जिम्मेदारी सौंपने की योजना नहीं है. व्हाइट हाउस की संयमित आशावादिता के बावजूद राष्ट्रपति ओबामा को देशवासियों के संशय को दूर करना होगा जो लंबी लड़ाई से थक गए हैं. अफगान युद्ध पर अमेरिका का हर साल 113 अरब डॉलर खर्च हो रहा है.
तालिबान के हमले बढ़ रहे हैं और इस साल अफगानिस्तान में मारे गए सैनिकों और असैनिक नागरिकों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. यह समीक्षा रिपोर्ट अमेरिका द्वारा पिछले साल 30 हजार अतिरिक्त सैनिकों को अफगानिस्तान भेजे जाने के एक साल बाद आई है. इस साल अब तक लगभग 700 विदेशी सैनिक मारे गए हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ए जमाल