रूसी सेना की रीढ़ बनते आर्मी स्कूल
बच्चों को जंगल में अकेले छोड़ दिया जाता है. उन्हें खुद जिंदा रहना सीखना होगा. आखिर में उन्हें हवाई जहाज से कूद मारनी होगी. देखिए कैसे सैनिक तैयार करते हैं रूस के आर्मी स्कूल.
आर्मी स्कूल की होड़
रूस में जो माता पिता तेजी से अपने बच्चे को सफल होते देखना चाहते हैं, वे आम तौर पर बच्चों को आर्मी स्कूल भेजते हैं. देश भर से 200 से ज्यादा बच्चे आर्मी स्कूल तक पहुंचते हैं. आम पढ़ाई के साथ साथ बच्चों को यहां मिलिट्री ट्रेनिंग दी जाती है. सफल बच्चों के लिए रूस की सेना का दरवाजा सीधे खुलता है.
फादरलैंड की खातिर
2001 में रूस सरकार ने नई पीढ़ी के लिए देशभक्ति से भरा सिलेबस तैयार किया. यह सिलेबस मिलिट्री स्कूल और पैरामिलिट्री कैंपों में चलता है. आर्मी ड्रिल के दौरान देशभक्ति साबित करना बच्चों के लिए मददगार होता है.
जनरल की याद में
जेरमोलोव कैडेट स्कूल 2002 में शुरू हुआ. स्कूल रूसी सेना के जनरल अलेक्सी पेत्रोविच जेरमोलोव की स्मृति में बनाया गया. 19वीं सदी में जेरमोलोव ने नेपोलियन के खिलाफ युद्ध लड़ा. जेरमोलोव को युद्ध का हीरो माना जाता है. इस कैडेट स्कूल के बच्चों के पास रूसी सेना में जाने का सबसे बढ़िया मौका होता है.
अनुशासन और अभ्यास
रूसी सेना का अगला नायक बनने के लिए बच्चे यहां कड़ी मेहनत करते हैं. बचपन से ही उन्हें बॉक्सिंग और एशियन मार्शल आर्ट सिखायी जाती है. कई दिनों के कैंप के दौरान बच्चों को अपनी फिटनेस भी साबित करनी पड़ती है. लोग इन स्कूलों को कुलीन "रसियन नाइट्स" क्लब भी कहते हैं.
शूट करने लायक
कड़े शारीरिक अभ्यास के अलावा बच्चों को हथियार चलाना भी सिखाया जाता है. बच्चे खाली समय में खेलकूद के तौर पर भी हथियार चला सकते हैं. कैंपिंग के दौरान रूसी सेना के अधिकारी बच्चों से मिलते हैं और हथियारों के बारे में उन्हें नयी बातें सिखाते हैं.
लड़कियों का भी स्वागत
जेरमोलोव कैडेट स्कूल में लड़कियां भी जाती हैं. लड़कों की तरह वे भी हर तरह की मिलिट्री ट्रेनिंग करती हैं. इस दौरान उन्हें अस्थायी बंकर बनाना और जंगल में अकेले जिंदा रहना भी सिखाया जाता है.
स्काईडाइविंग
फिट, इंटेलिजेंट और साहसी युवाओं को स्काईडाइविंग टेस्ट भी पास करना होता है. सेना के मुताबिक विमान या हेलिकॉप्टर से छलांग मारना मौजूदा दौर में सैनिकों के लिए जरूरी है. (रिपोर्ट: यूलिया वर्जिन/ओएसजे)