रूस को राष्ट्रपति पुतिन देने जा रहे हैं एक नया प्रधानमंत्री
१६ जनवरी २०२०रूस के सत्ताधारी दल यूनाइटेड रशिया ने सर्वसम्मत से मिखाएल मिशुस्तिन को अपनी पार्टी से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया. यह जानकारी संसद के स्पीकर की सहयोगी अनास्टेसिया काशेवारोवा ने सोशल मीडिया पर साझा की. अब संसद में इस प्रस्ताव पर वोटिंग होनी है. रूसी संसद के निचले सदन ड्यूमा में यूनाइटेड रशिया पार्टी का बहुमत होने के कारण इस प्रस्ताव के स्वीकार होने की उम्मीद है.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक दिन पहले ही जब संवैधानिक बदलावों को लेकर आगे बढ़ने का प्रस्ताव रखा तब दिमित्री मेद्वेदेव और उनकी कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया ताकि इन सुधारों को ठीक से लागू किया जा सके. इन संवैधानिक बदलावों के माध्यम से पुतिन राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद भी सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रख सकेंगे. उन्होंने ही 53 वर्षीय मिशुस्तिन का नाम आगे बढ़ाया था. अब तक मिशुस्तिन 2010 से केंद्रीय टैक्स सेवा के प्रमुख के रूप में जाने जाते थे.
पुतिन ने अपने 'स्टेट ऑफ द नेशन' भाषण में एक के बाद एक कई बड़ी घोषणाएं कीं. इसके बाद से ही अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि 2024 में राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद पुतिन अपना भविष्य कैसे सुनिश्निचित करना चाहते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि सन 1999 से ही रूस की सत्ता संभालने वाले 67 वर्षीय पुतिन या तो फिर प्रधानमंत्री बनेंगे या अपने लिए किसी नए पद का गठन करेंगे या फिर पर्दे के पीछे रह कर ही एक शक्तिशाली भूमिका निभाएंगे.
बीते दो दशकों से पुतिन लगातार या तो देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति पद पर रहते हुए सत्ता में बने रहे हैं. जोसेफ स्टालिन के बाद पुतिन किसी भी रूसी या सोवियत नेता से ज्यादा लंबे समय तक पद पर रहने वाले नेता हैं. स्टालिन ने करीब 26 साल तक सोवियत संघ का नेतृत्व किया था.
अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि मिशुस्तिन जैसा एक अपेक्षाकृत निस्तेज नेता जो कि टेक्नोक्रैट होने के कारण राजनीतिक बहस से दूर ही रहता आया है, वह कोई अस्थाई चेहरा होगा या फिर उन्हें वाकई पुतिन के उत्तराधिकारी के रूप में तैयार किया जाएगा.
अपने भाषण में पुतिन में जिन अहम बदलावों की बात की, उनमें राष्ट्रपति के हाथ से कई अधिकार संसद को देने का प्रस्ताव है. जैसे कि देश के प्रधानमंत्री और वरिष्ठ कैबिनेट सदस्यों को चुनने का अधिकार वह संसद को देना चाहेंगे. सन 1993 में रूस ने यह संविधान लागू किया था. तब से लेकर यह पहला बदलाव होगा जिसे पुतिन रूसी जनता से आ रही "बदलाव की मांग" बता रहे हैं.
रूस की आम जनता बीते पांच सालों में अपनी आय के उसी स्तर पर बने रहने या घटते जाने को लेकर बहुत परेशान है. दूसरी ओर पेंशन मिलने की उम्र को और आगे बढ़ाने के कदम से भी जनता में नाराजगी है और इससे पुतिन की लोकप्रियता में गिरावट आई है. विपक्ष के नेता अलेक्सी नावाल्नी ने ट्वीट कर कहा, "जब तक जिएं तब तक देश के इकलौते नेता बने रहें...पूरे देश को अपनी संपत्ति समझने वाले पुतिन का केवल एक ही लक्ष्य है."
फिलहाल पीएम का पद छोड़ने वाले मेद्वेदेव 2008 से 2012 तक देश के राष्ट्रपति रह चुके हैं. और आगे भी उनके पुतिन के करीबी बने रहने की ही उम्मीद है. वह रूस की सुरक्षा परिषद के उप प्रमुख का पद ले रहे हैं. परिषद की अध्यक्षता पुतिन करते हैं. इस पर कार्नेगी मॉस्को सेंटर के प्रमुख दिमित्री त्रेनिन ने ट्वीट में लिखा: "वह (मेद्वेदेव) वही रहेंगे जो वह हमेशा से रहे हैं: (पुतिन के) बेहद करीबी." अटकलें हैं कि मेद्वेदेव को नए राष्ट्रपति के तौर पर तैयार करने की योजना भी हो सकती है.
आरपी/एके (एएफपी, रॉयटर्स)
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