रूस के खिलाफ अमेरिका का हथियार
२९ मार्च २०१४11 सितंबर 2001 के हमले के बाद अमेरिका ने समझ लिया कि किसी विरोधी पर आर्थिक शिकंजा कसना सैन्य हस्तक्षेप जितना प्रभावशाली हो सकता है. साल 2005 से 2009 तक अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे खुआन साराते के मुताबिक, "ऐसे कई मामले हैं. जैसे यूक्रेन, जहां सैन्य शक्ति का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और जहां ताकत दिखाने का दूसरा तरीका वित्तीय और आर्थिक है."
आक्रमण करना आसान नहीं
आतंकवाद और वित्तीय अपराधों पर शीर्ष सलाहकार चिप पोंसी भी साराते से सहमत नजर आते हैं. पोंसी अमेरिका में आतंकवाद को वित्तीय मदद और वित्तीय अपराध पर नजर रखने वाली संस्था के निदेशक हैं. वे कहते हैं कि हर संकट में सैन्य प्रतिक्रिया ममुकिन नहीं है. चिप पोंसी के मुताबिक, "लेकिन आपको केवल गुस्से भरे पत्र और कठोर बयान के अलावा भी करना होता है."
साराते और पोंसी ने मायैमी में पिछले हफ्ते काले धन को सफेद करने पर हुए वार्षिक सम्मेलन को संबोधित किया था. दोनों ने मिलकर अमेरिका के दुश्मनों की वित्तीय लेन देन को खत्म करने के लिए रूपरेखा तैयार की थी. कई लोगों का सोचना है कि इसी रणनीति के कारण ही अफगानिस्तान में अल कायदा की जड़ें कमजोर हुई और इस रणनीति ने ईरान को भी बातचीत के लिए राजी होने पर मजबूर किया.
रूस पर असर
फिर भी यह देखा जाना बाकी है कि इसका रूस पर क्या प्रभाव पड़ेगा. साराते कहते हैं, "रूस के खिलाफ उस तरह की शक्ति का इस्तेमाल करना कठोर है. वह ताकतवर देश है. उसकी अर्थव्यवस्था उन्नत है और उसके संबंध यूरोप और दुनिया के अन्य देशों से हैं. लेकिन कुछ किया जाना चाहिए. और कुछ किए जाने में वित्तीय शक्ति शामिल है." जॉर्ज डब्ल्यू बुश की सरकार ने सैन्य शक्ति के अलावा दुश्मनों के बैंक अकाउंट और संपत्ति पर निशाना साधा था. लेकिन राष्ट्रपति बराक ओबामा मूल रूप से एक अनूठी रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं.
वॉशिंगटन और ब्रसल्स की क्रेमलिन के करीबियों और रूसी बैंकों पर लगी आर्थिक पाबंदी के बावजूद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन उसे हल्के में ले रहे हैं. साराते को लगता है कि पाबंदी मॉस्को को नुकसान पहुंचाएगी, "लंबे अर्से में बहुत कठिन मार पड़ सकती है. अगर रूसी वित्तीय प्रणाली अवैध या गैर कानूनी मानी जाती है तो भविष्य में रूस को इसके लिए कीमत चुकानी पड़ेगी."
यूरोप का सहयोग
मॉस्को का शेयर बाजार मार्च से अब तक 10 फीसदी अंक गिर चुका है. वीजा और मास्टर कार्ड ने दो रूसी बैंकों के साथ व्यापार रोक दिया है. रूस को अलग थलग करने के लिए वॉशिंगटन को यूरोप के साथ मिलकर काम करना होगा. रूस पर वाणिज्यिक और ऊर्जा से संबंधित निर्भरता की वजह से यूरोप इस तरह के कदम उठाने में अनिच्छुक दिख रहा है.
साराते का मानना है कि ऐसे में जर्मनी एक अहम भूमिका निभा सकता है. रूस के साथ उसका अच्छा रिश्ता है. लेकिन रूस पर वित्तीय पाबंदी इस तरह से लगाना होगा जिससे कि विवाद को सुलझाने के रास्ते भी बने रहें. इस नाजुक संतुलन को बनाए रखना मुश्किल होगा.
एए/ एमजी (डीपीए)