रूस के चुनावों में पुतिन को झटका
५ दिसम्बर २०११रूस की सत्ताधारी पार्टी यूनाइटेड रशिया को 450 सीटों में से 238 सीटें ही मिली. 2007 में हुए संसदीय चुनावों में पार्टी ने 315 सीटें जीती थीं. इन चुनावों में पुतिन की पार्टी को 77 सीटों का नुकसान हुआ है. यूनाइटेड रशिया को इन चुनावों में 49.54 फीसदी वोट मिले. यानी आधे रूसी मतदाताओं ने पुतिन और उनकी पार्टी पर भरोसा नहीं किया. चार साल पहले हुए चुनावों में यूनाइटेड रशिया को 64 फीसदी वोट मिले थे.
तीन चौथाई बहुमत न मिलने से पुतिन एंड पार्टी को कई मुश्किलें होंगी. दो तिहाई सीटें जीतने पर पार्टी को संवैधानिक बहुमत मिलता. संवैधानिक बहुमत के बिना पुतिन किसी भी कानून को आसानी से पास नहीं करा सकेंगे. संविधान में बदलाव करना भी मुश्किल हो जाएगा. संविधान में बदलाव के लिए दो तिहाई मत जरूरी हैं.
कम्युनिस्ट पार्टी विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. उसे 92 सीटें मिली है. ए जस्ट रशिया पार्टी को 64 सीटें मिली हैं. लिबरल डेमोक्रैटिक पार्टी 56 सीटें जीत सकी है.
चुनाव के नतीजों पर रूसी अखबार कोमेरसांत ब्रॉडसीट का कहना है, "सत्ताधारी पार्टी को अब सहयोगियों की जरूरत होगी." वहीं वेदोमोस्ती बिजनेस डेली ने यूनाटेड रशिया को 'अल्पसंख्यक पार्टी' करार दिया है.
साल 2000 से रूस पर राज कर रहे पुतिन ने चुनाव के नतीजों का स्वागत किया है. पुतिन ने कहा, "इन नतीजों के आधार पर हम देश में टिकाऊ विकास जारी रखने के लायक रहेंगे." वहीं राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव ने चुनावों नतीजों का हवाला देते हुए विरोधियों पर निशाना साधा. मेद्वेदेव ने कहा कि नतीजे दिखाते हैं कि चुनाव में धांधली का आरोप लगाने वाले लोगों को गुमराह कर रहे थे.
लेकिन संसदीय चुनावों के इन नतीजों से सबसे बड़ा झटका पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा प्रधानमंत्री ब्लादिमीर पुतिन को लगा है. पुतिन 2012 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसी साल सितंबर में पुतिन ने एलान किया था कि वह 2012 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगे. रूसी संविधान के मुताबिक कोई भी व्यक्ति लगातार दो ही बार राष्ट्रपति बन सकता है. पुतिन 2000 से 2004 और फिर 2004 से 2008 तक रूस के राष्ट्रपति रह चुके हैं. संवैधानिक बाधा को टालने के लिए वह 2008 में प्रधानमंत्री बने. अब वह फिर राष्ट्रपति बनना चाहते हैं, वहीं वर्तमान राष्ट्रपति मेद्वेदेव अगले प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं.
रिपोर्ट: एएफपी/ओ सिंह
संपादन: ए जमाल