रूस के राष्ट्रपति चुनावों में जीते पुतिन
५ मार्च २०१२पुतिन की जीत को चुनौती देने लिए सोमवार को उनके खिलाफ विपक्ष का प्रदर्शन होने की आशंका जताई जा रही है. जीत के बाद पुतिन ने कहा कि उन्होंने रूस की सत्ता को दुश्मनों के हाथ में जाने से बचा लिया है जो सत्ता हड़प लेना चाहते हैं.
पुतिन के विरोधी रविवार को हुए चुनावों में व्यापक धांधली का आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने नतीजे मानने से भी इनकार कर दिया है. विरोधियों ने सोमवार शाम और आने वाले दिनों को क्रेमलिन के बाहर रैली निकालने की योजना बनाई है.
केजीबी के जासूस रहे व्लादिमीर पुतिन पिछले चार साल तक देश के प्रधानमंत्री थे और 2000 से 2008 तक रूस के राष्ट्रपति रह चुके हैं. रविवार रात मिली जीत उनकी आंखों से बह निकली. और भरी आंखों के साथ उन्होंने पूरी ताकत से कहा, "मैंने आपसे जीत का वादा किया था और हम जीत गए हैं." उनकी इस खुशी में शामिल होने के लिए क्रेमलिन के बाहर उनके कई हजार समर्थक जमा थे.
पुतिन के मुख्य विरोधी मध्यवर्गीय हैं जो दिसंबर में हुए संसदीय चुनावों में धांधली के बाद से बड़े शहरों में विरोध कर रहे हैं. विरोध करने वाले पुतिन को तानाशाही नेता मानते हैं जिनके सत्ता में आने के बाद आर्थिक और राजनैतिक सुधारों में बाधाएं आएंगी. विरोध करने वाले लोगों ने प्रदर्शन बढ़ाने की चेतावनी दी है. पत्रकार सेरगई पारखोमेंको कहते हैं, "वह हमारे संयम की परीक्षा ले रहे हैं, हमारे खिलाफ संघर्ष का एलान कर रहे हैं. इस कारण उनका विरोध बढ़ता जा रहा है."
हल्की जीत
जिस अंतर से पुतिन अभी तक जीतते आए हैं वो जलवा इस बार नहीं दिखा. पूरे वोटों की गिनती के बाद भी पुतिन को सिर्फ 63.74 प्रतिशत मत मिले. उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी और कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता जेनाडी जिउगानोव को 17 फीसदी और राष्ट्रवादी व्लादिमीर जिरिनोवस्की, संसद के पूर्व स्पीकर सेरगई मिनोरोव और अरबपति मिखाइल प्रोखोरोव को दस फीसदी मत भी नहीं मिल सकते.
कम्युनिस्ट पार्टी ने इन नतीजों को मानने से इनकार कर दिया है. हालांकि रूस में पुतिन के विरोधी बहुत है खासकर पढ़े लिखे, युवाओं में, लेकिन फिर भी पुतिन गांवों और प्रांतीय हिस्सों में बहुत लोकप्रिय हैं. पहले राष्ट्रपति कार्यकाल में रूस की अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए किए गए उनके कामों के आधार पर वह अभी भी जीत हासिल कर पाए हैं. 14.3 करोड़ के देश में पुतिन का समर्थन कुल मिला कर कम हुआ है.
आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि पुतिन के लौटने पर उनकी सबसे बड़ी परीक्षा रूस की ऊर्जा नीति में सुधार के मामले होगी. रूस की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा ऊर्जा के निर्यात पर निर्भर है. लंदन में रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड में नए बाजारों पर शोध कर रहेटिम ऐश कहते हैं, "अगर रूस तेजी से सुधार नहीं करता और महत्वाकांक्षी ऊर्जा सुधार का एजेंडा आगे नहीं बढ़ाते तो विकास तेजी से नहीं होगा."
बहरहाल चुनाव में धांधली की रिपोर्टों के बारे में अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक अपनी रिपोर्ट देने वाले हैं. वहीं गोलोस नाम के स्वतंत्र निगरानी दल ने कहा कि उन्होंने रूस में धांधली के करीब 3.100 मामले दर्ज किए हैं.
रिपोर्टः एएफपी/रॉयटर्स/आभा एम
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन