रोटेशन पॉलिसी के समर्थन में गंभीर
१३ फ़रवरी २०१२एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 92 रन की पारी खेलने वाले गौतम गंभीर ने विवादित रोटेशन पॉलिसी पर कहा, "जितना क्रिकेट हम खेलते हैं, उस लिहाज से यह महत्वपूर्ण है कि हम खिलाड़ियों की अदला बदली करें और उन्हें तरोताजा रखें."
ऑस्ट्रेलिया में खेली जा रही ट्राई सीरीज के दौरान टीम इंडिया के शीर्ष क्रम में अदला बदली की जा रही है. कभी सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग की जोड़ी पारी की शुरुआत कर रही है तो कभी तेंदुलकर और गंभीर की जोड़ी. रविवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सहवाग और गंभीर ने भारतीय पारी की शुरुआत की. भारत ने मैच चार विकेट से जीता.
मैन ऑफ द मैच गंभीर के मुताबिक रोटेशन पॉलिसी कई अन्य टीमों में भी अपनाई जाती है. उन्होंने कहा, "ऑस्ट्रेलिया ने माइक हसी को आराम दिया है. वह चाहते हैं कि हसी तरोताजा रहें. अब हमने भी अपने खिलाड़ियों की अदला बदली शुरू की है. यह एक अच्छा संकेत है. इससे हमें पता चलता है कि हमारे पास रोहित और रैना जैसे खिलाड़ियों की ताकत है और ऐसे में उन्हें अतिरिक्त मौके मिलते हैं."
दरअसल रोटेशन पॉलिसी से पूर्व दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर नाराज हैं. गावस्कर के मुताबिक मैदान पर हमेशा बेहतरीन टीम उतरनी चाहिए. कुछ लोग रोटेशन पॉलिसी की सिर्फ इसलिए आलोचना कर रहे हैं क्योंकि एडिलेड में सचिन को 100वां शतक जड़ने का मौका नहीं मिला. सचिन पिछले साल मार्च से 99 शतकों पर अटके हुए हैं.
टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी रोटेशन पॉलिसी का समर्थन कर रहे हैं. धोनी के मुताबिक रोटेशन पॉलिसी के बिना रोहित शर्मा और सुरेश रैना जैसे खिलाड़ियों के लिए मौके निकालना मुश्किल है. यह बात सच भी है. कैंसर का इलाज करा रहे युवराज सिंह फिलहाल मैदान से दूर हैं. मई में युवराज के टीम में लौटने के बाद तो रोहित, रैना और रवींद्र जडेजा जैसे खिलाड़ियों को मौके और कम हो जाएंगे.
अगर भारतीय टीम को उम्रदराज सीनियर खिलाड़ियों के जाने के बाद बचने वाली खाली जगह की अच्छे ढंग से भरपाई करनी है तो रोटेशन पॉलिसी को लागू करना ही होगा.
बल्लेबाजों की अदला बदली के बीच टीम का ध्यान युवा तेज गेंदबाज उमेश यादव ने खींचा है. गंभीर कहते हैं, "वह एक ऐसे गेंदबाज हैं जिन्हें लंबे समय तक भारत के लिए खेलना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय स्तर का गेंदबाज बनना चाहिए." गंभीर के मुताबिक उमेश ऑस्ट्रेलिया दौरे की खोज हैं. उमेश यादव लगातार 150 किमी प्रतिघंटा से ज्यादा की रफ्तार से गेंदें फेंक सकते हैं. गंभीर मानते हैं कि उमेश की गेंदें दुनिया के किसी भी बल्लेबाज को डगमगा सकती है.
रिपोर्ट: एएफपी/ओ सिंह
संपादन: महेश झा