रोम में भुखमरी रोकने पर चर्चा
१६ अक्टूबर २०१२प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भूखमरी को राष्ट्रीय शर्म घोषित कर चुके हैं लेकिन स्थिति में सुधार नहीं है. विश्व खाद्य कार्यक्रम की वेबसाइट में कहा गया है कि कुपोषण के शिकार लोगों की कुल आबादी का 25 प्रतिशत हिस्सा भारत में रहता है.
सरकारी आंकडे़ भी तस्दीक करते हैं. भारत में पांच साल से कम आयु के 43 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. महिलाओं की स्थिति तो और भी चिंता में डालने वाली है. 15 से 49 साल के बीच की गर्भवती महिलाओं में से 50 फीसदी ऐसी हैं जो कुपोषण और खून की कमी का शिकार होती हैं. आंकड़े बताते हैं कि कुपोषण के मामले में भारत की स्थिति अफ्रीकी देशों से भी खराब है.
भुखमरी की समस्या से निपटना दुनिया के लिए अभी भी बड़ी चुनौती है. सभी देशों के प्रतिनिधि इस मामले में विचार करने के लिए मंगलवार को विश्व खाद्य दिवस के मौके पर इटली की राजधानी रोम में इकट्ठा हो रहे हैं. मुलाकात का मकसद खाद्य पदार्थों की कीमत पर लगाम लगाने के साथ-साथ खाद्यान्न बाजार पर मंडरा रहे संकट से निपटने के तरीके भी खोजना है. रोम स्थित संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन इस मामले पर एक सप्ताह का सम्मेलन करा रहा है. इसमें संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकारियों के अलावा सिविल सोसायटी के सदस्य और खेती से जुड़े विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे.
संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसी महीने की शुरुआत में जारी गए आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में 87 करोड़ लोग भुखमरी और कुपोषण के शिकार हैं. हालांकि स्थिति में 1990 के मुकाबले सुधार भी हुआ है. पहले एक अरब लोग ऐसे थे जो भूख और कुपोषण के शिकार थे. लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है.
खाद्य और कृषि संगठन के मुताबिक इस साल तनाव और बढ़ गया है क्योंकि यूरोप, रूस और काले सागर के देशों जैसे अनाज का उत्पादन करने वाले दुनिया के सबसे बड़े देशों में उत्पादन का कम हुआ है. अमेरिका में पडे़ अकाल की वजह से स्थिति और भी खराब हो गई है. यूरोप और अमेरिका में इस साल उत्पादन में 10 फीसदी की कमी आई है. खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञ थियेरी केस्टलूर का कहना है, "स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है."
सितंबर महीने में ही खाद्य पदार्थों की वैश्विक कीमतों में 1.4 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. फ्रांस के कृषि मंत्री स्टीफेन ली फो इस मामले में दूसरे देशों के मंत्रियों के साथ अलग से बातचीत करेंगे. कहा जा रहा है कि इसमें 36 देशों के नेता हिस्सा लेंगे. दुनिया भर में छाई भुखमरी की समस्या से बड़े स्तर पर निपटने की तैयारी 2007-08 में आए खाद्य संकट के बाद की गई है. इस संकट के बाद लक्ष्य में भी बदलाव किए गए हैं. अब खाद्य संगठन का कहना है कि भुखमरी से प्रभावित देशों की जरूरत पड़ने पर मदद के बदले जोर खाद्य उत्पादन बढ़ाने पर दिया जाना चाहिए.
वीडी/एमजे (एएफपी)