लंदन में ट्विटर पर बुलाएं टैक्सी
४ अक्टूबर २०१०अब एक नए इलाके में वे कदम रख रहे हैं. उन्होंने ट्वीट करना शुरू किया है, यानी ट्विटर का इस्तेमाल. फिलहाल कुछ ही एक टैक्सी ड्राइवर ये कर रहे हैं लेकिन शुरुआत तो हो चुकी है.
शुरु में यह एक ऑनलाईन कम्युनिटी थी, टैक्सी ड्राइवर सूचनाओं का आदान प्रदान करते थे. ट्रैफिक की क्या हालत है, कहां सड़क मरम्मत का काम चल रहा है, कहां कार के पुर्जे सस्ते में मिल रहे हैं. लेकिन इस बीच ट्विटर के जरिए टैक्सी की बुकिंग भी शुरू हो गई है. अभी 115 ड्राइवर इस सिस्टेम में शामिल हुए हैं. उनमें से एक हैं ली कॉक्स. वे कहते हैं, "आप ट्वीट-ए-लंडन-कैब के अकाउंट को फॉलो कीजिए, हम आपको फॉलो करना शुरू करेंगे. फिर आप हमें एक डायरेक्ट मेसेज भेज सकते हैं."
नो फोन
ट्विट करने वालों के लिए आसान सा मसला, लेकिन बाकी लोग सोच सकते हैं कि यह कौन सी बला है. ली कॉक्स समझाते हैं, " हमें तुरंत मेसेज मिलता है. फिर हममें से एक उन्हें जांचता हैं, अगर कुछ पूछना हो तो मेसेज भेजता है. उसके बाद एक दूसरे ट्विटर अकाउंट से उसे ड्राइवरों तक भेजा जाता है. जो ड्राइवर सबसे पहले जवाब भेजता है, ग्राहक उसका हो जाता है और वह उसके पते पर पहुंच जाता है."
यह तो कुल मिलाकर टेलिफोन टैक्सी जैसा ही सुनने में लगता है. फिर फर्क कहां है. और इसमें फायदा कहां है. ली कॉक्स का कहना है कि इसमें समय कम लगता है, और लाईन कभी व्यस्त नहीं रहती, क्योंकि मेसेज तो हमेशा भेजा जा सकता है. "ट्विटर के जरिए वे फोन पर होते हैं, और उन्हें फोन का बिल भी नहीं चुकाना पड़ता है. वे सीधे ट्वीट कर सकते हैं और उन्हें कहीं जल्दी जवाब मिल जाता है. उन्हें फोन उठाकर नंबर भी नहीं मिलाना पड़ता है."
तेज सेवा
कंप्यूटर की भाषा में वर्चुअल, यानी आप सीधे किसी से संपर्क में नहीं आते हैं. लेकिन साथ ही इंटरऐक्टिव, क्योंकि दोनों पक्ष एक दूसरे से संपर्क करते हैं. इसके अलावा टेलिफोन आधारित सर्विसेज में आजकल हर कहीं ऑटोमेटिक मशीन की आवाज सुनने को मिलती है, जो ग्राहकों को अक्सर पसंद नहीं आती है. ट्विटर में यह बात नहीं है. टीना माम्मोजर अक्सर इसका इस्तेमाल करती हैं. उनका कहना है, "ली कई बार गाड़ी के पीछे कैनवस टांगकर मुझे पहुंचा चुका है. मैं सीधे उससे संपर्क कर सकती हूं. वह यहीं का है और हर गली कूचे की जानकारी है उसे."
टीना माम्मोजर कलाकार हैं, जगह जगह जाकर तस्वीरें बनाती हैं. टैक्सी की जरूरत पड़ती है और अब वह ट्वीट-ए-लंडन-कैब की नियमित ग्राहक बन चुकी हैं. पहले वह अपने सायकिल पर कैनवस ढोकर ले जाती थी. वह कहती हैं, "लंदन में एक एक मीटर लंबे चौड़े कैनवस को साइकल पर ढो कर ले जाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. मैं गाड़ी नहीं चलाती हूं. इसलिए जब लंदन के अंदर दूर जाना होता है, तो जल्द कोई टैक्सी लेना आसान नहीं होता है. ट्विटर से अब बड़ी आसानी हो गई है."
बड़ी संभावना
ट्विटर का इस्तेमाल करने वाले ये टैक्सी ड्राइवर चाहते हैं कि बुकिंग की सिस्टम तकनीकी रूप से बेहतर बनाया जाए. इसलिए पहली अक्तूबर को उन्होंने एक कैब कैंप का आयोजन किया, जहां सोशल नेटवर्क और कंप्युटर तकनीक से जुड़े लोगों को बुलाया गया. ली कॉक्स और उनके साथियों का मानना है कि कुछ एक तब्दीलियों के जरिए पूरी व्यवस्था को कहीं अधिक आकर्षक बनाया जा सकता है. वे कहते हैं, "बहुत सारी चीजें हैं, जो भौगोलिक स्थिति से जुड़ी हुई हैं, जो टेलिफोन पर मिल जाती हैं. हम जानते हैं कि ड्राइवर और ग्राहक कहां हैं. अगर इनको तुरंत जोड़ा जा सके, तो पूरी व्यवस्था कहीं अधिक कारगर हो सकती है."
टैक्सी, यानी कैब ट्विटिंग लंदन की एक खासियत बन रही है. ली कॉक्स कहते हैं कि एडिनबरा से, और दूसरे देशों से भी उनके इस नए तरीके में दिलचस्पी दिखाई जा रही है. फिलहाल कैब ट्विटिंग में सिर्फ 115 ड्राइवर शामिल हैं, और उनका सिर्फ पांच फीसदी ग्राहक ट्विटर से आ रहे हैं.लेकिन फरवरी के मुकाबले यह चार गुना है, और हर शुरुआत छोटी ही होती है.
रिपोर्टः उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादनः आभा एम