लगातार खुल रहे हैं यौन शोषण के मामले
१९ फ़रवरी २०१०कैथोलिक गिरजे के जेसुइट ऑर्डर द्वारा मामले की जांच के नियुक्त एक वकील ने एक अंतरिम रिपोर्ट में यह जानकारी दी है.
कई दिनों से उर्ज़ुला राउए के टेलिफ़ोन की घंटी बंद नहीं हो रही. वे जेसुइट ऑर्डर में 2007 से यौन शोषण के मामलों की प्रभारी है. यौन शोषण के मामलों की जांच और उस पर क़दम उठाने के लिए यह पद 2002 में बना था. उर्ज़ुला राउए का कहना है, "मामलों के पता चलने ने अब जो आयाम ले लिया है, उसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी. "
हर दिन यौन शोषण का शिकार हुए लोग फ़ोन कर रहे हैं और अपनी गाथा सुना रहे हैं. अब उनकी संख्या सवा सौ के क़रीब पहुंच गई है. वे सिर्फ़ जेसुइट स्कूलों में हुए मामलों की ही जानकारी नहीं दे रहे हैं बल्कि दूसरे कैथोलिक संस्थानों की भी. कुल मिलाकर 12 शिक्षकों पर आरोप लगाए गए हैं.
बर्लिन के जेसुइट स्कूल कनिसिउस कॉलेज से पिछले तीन सप्ताह में 50 पूर्व छात्र सामने आए हैं. इसी स्कूल से पहली बार यौन शोषण के मामलों का पता चला था. तब जब चिली में रह रहे एक भूतपूर्व जेसुइट पादरी ने अपने पुराने छात्रों को माफ़ा वाला पत्र लिखा. अब तक सब चुप थे, शर्म से और अपने संस्थान को बदनाम करने की आशंका से. जब स्कूल के प्रधानाचार्य ने पहले आरोपों की खुलेआम चर्चा की तो बहुत सारे भूतपूर्व छात्र सामने आए हैं. 80 फ़ीसदी का कहना है कि वे वित्तीय हर्ज़ाना नहीं चाहते, वे यौन शोषण के मामलों को सामने लाना चाहते हैं.
एक मामला पेटर आर. का है जो उन दिनों लड़कों के हाईस्कूल में मनोरंजन का प्रभारी था. वहां उसके द्वारा कई लड़कों को तंग किए जाने और सेक्स के लिए मनाए जाने के आरोप हैं. शिक़ायत हुई, कार्रवाई हुई. उर्ज़ुला राउए कहती हैं, "उसके बाद पेटर आर. को 1981 में स्कूल से हटा दिया गया. उसके बाद वह गोएटिंगेन चला गया जहां वह फिर से युवाकार्य में लग गया. अब हमें पता है कि वहां यौन दुराचार हुए."
राउए ने अंतरिम रिपोर्ट में जेसुइट ऑर्डर को अब तक पता चले मामलों में गहन जांच करवाने की सलाह दी है. उन्होंने एक कार्यदल बनाने का भी सुझाव दिया है जो इस बात की जांच करे कि किस तरह जेसुइट संस्थानों ने बड़े पैमाने पर यौन दुराचार को सहारा दिया. मामले पुराने पड़ गए हैं, इसलिए दोषियों के ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती. लेकिन भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए राउए ने स्कूलों में एक प्रभारी बनाने का सुझाव दिया है. ज़रूरत पड़ने पर छात्र वहां शिक़ायत कर पाएंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/महेश झा
संपादनः आभा मोंढे