1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

वर्ल्ड कपः कहां गया दर्शकों का पागलपन

१८ मार्च २०११

दक्षिण एशिया में क्रिकेट को लेकर जिस तरह का पागलपन है, उस हिसाब से तो वर्ल्ड कप क्रिकेट में बवाल हो जाना चाहिए था. लेकिन इस बार जोश ओ खरोश कुछ कम है. बवाल जैसा भी कुछ नहीं दिख रहा है. क्यों?

https://p.dw.com/p/10bmB
तस्वीर: bdnews24.com

वर्ल्ड कप को शुरू हुए एक महीना हो गया है. क्रिकेट विशेषज्ञों के मुताबिक आमतौर पर यह टूर्नामेंट उम्मीदों पर खरा ही उतरा है. मीडिया ने, खासतौर पर दक्षिण एशिया में तो वर्ल्ड कप को भव्य कवरेज दी है. भारत में ऐसा लगता है कि आजकल कोई और खबर है ही नहीं. लेकिन, राह चलते किसी से पूछें, तो आपको बता देगा कि वर्ल्ड कप के लिए वो जोश नहीं है.

50 ओवर बहुत ज्यादा

क्रिकेट के जानकारों का मानना है कि 100 ओवरों का मैच अब पागलपन की हद तक क्रिकेट को पसंद करने वाले लोगों को भी बहुत लंबा लगने लगा है. इसलिए वे इंतजार कर रहे हैं कि लीग मैच खत्म हों और टूर्नामेंट दूसरे दौर में पहुंचे ताकि नॉकआउट दौर शुरू हो. उस दौर में तो हर टीम के लिए हर मैच करो या मरो का होगा. हारे तो बाहर. ऐसे में लोगों की दिलचस्पी बढ़ सकती है.

Flash-Galerie Bangladesch Cricket Weltmeisterschaft World Cup 2011 Eröffnungsfeier in Dhaka
तस्वीर: dapd

कोलकाता के सिद्धार्थ चटर्जी कहते हैं, "मैं बचपन से क्रिकेट का दीवाना हूं. लेकिन यह वर्ल्ड कप बहुत लंबा हो गया है. मेरे पास नौ घंटे लंबा मैच देखने का वक्त ही नहीं है. मैं भारत का भी वही मैच देख पाता हूं जो शनिवार या रविवार को होता है."

चेन्नई के मुथुरामन भी सिर्फ भारत के मैच देखते हैं. हालांकि वह मानते हैं कि वर्ल्ड कप के सारे मैचों के नतीजों में फैन्स की दिलचस्पी है लेकिन उनके मुताबिक मीडिया इतनी ज्यादा खबरें दे रहा है कि मैच के लिए न तो वक्त बचता है न उत्सुकता.

टीवी चैनलों की जंग

ईएसपीएन स्टार स्पोर्ट्स चैनल क्रिकेट मैचों का प्रसारण कर रहा है. उसने टीवी अधिकार खरीदने के लिए अरबों रुपये खर्च किए हैं. अपना पैसा वापस पाने के लिए चैनल एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है. मैच के पहले, बीच में और फिर खत्म होने पर लंबी लंबी चर्चा दिखाई जा रही है. ऐसा इसलिए है ताकि प्रायोजकों को ज्यादा से ज्यादा वक्त टीवी पर मिल सके. लेकिन ऐसा लगता है कि फैन्स को यह सब ज्यादा नहीं भा रहा है.

समाचार चैनलों पर भी इतना ज्यादा क्रिकेट है कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय खबरों को जगह ही नहीं मिल पा रही है. अखबारों में तो कई बार 75 फीसदी तक जगह क्रिकेट खा रहा है. यानी दर्शकों के लिए क्रिकेट की डोज ओवर होने लगी है.

वैसे भारत में क्रिकेट मैचों के दौरान टीआरपी रेटिंग बहुत अच्छी आ रही है. लेकिन उसकी बड़ी वजह देश में टेलीविजन सेट, केबल और सैटलाइट चैनल का बढ़ना है. और फिर भारतीय टीम के ज्यादातर मैच सप्ताहांत में हैं इसलिए भी उसे दर्शक ज्यादा मिल जाते हैं.

फुटबॉल फैन नाराज

भारत के फुटबॉल फैन्स ने तो ईएसपीएन स्टार स्पोर्ट्स के खिलाफ एक याचिका भी दायर कर दी है. उन फैन्स का आरोप है कि खेल चैनल यूरोपीय फुटबॉल टूर्नामेंट इंग्लिश प्रीमियर लीग को पूरी कवरेज नहीं दे रहा है. इस याचिका को इतना समर्थन मिला कि भारतीय मीडिया में कई बार इस खबर को जगह दी गई. हालांकि ईएसपीएन का कहना है कि ऐसा नहीं है कि फुटबॉल को पूरी तरह गायब कर दिया गया है लेकिन क्रिकेट वर्ल्ड कप की वजह से बाकी खेलों की जगह कम तो हुई है.

रिपोर्टः अरुणाव चौधरी/वीके

संपादनः महेश झा

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें