वालमार्ट पर बवाल,अंग्रेजी पर आरोप
१० दिसम्बर २०१२सोमवार को संसद का गलियारा एक बार फिर हंगामे से गुलजार हुआ. बार बार समझाने पर भी जब सांसद नहीं मांने तो फिर सदन की कार्रवाई पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई. एफडीआई पर जोड़ तोड़ से संसद में जीत जुटाने में कामयाब हुआ सत्ताधारी गठबंधन अभी सांस भी नहीं ले पाया था कि वालमार्ट की खेमेबाजी की खबर ने उसे फिर घेर लिया. सरकार की नई नीति का फायदा उठाने के लिए वालमार्ट बड़े दिनों से तैयारी कर रहा था. खबर है कि उसने अमेरिकी सांसदों को अपने पक्ष में लामबंद होने के लिए करीब 125 करोड़ रूपये की रकम खर्च की है. यह रकम 2008 से ही अलग अलग तरीके से सांसदों पर खर्च की गई. मकसद बस इतना था कि किसी तरह से इस कंपनी को भारतीय बाजार में कदम रखने की इजाजत मिल जाए. अमेरिका में यह गैर कानूनी नही हैं.
भारत में विपक्षी पार्टी बीजेपी का कहना है कि यह रिश्वत है और सरकार को इस पर सफाई देनी होगी. बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने दिल्ली में कहा, "बीजेपी चाहती है कि प्रधानमंत्री इस पर बयान दें कि उन्होंने पहले इसकी जांच क्यों नहीं कराई और अब यह प्रस्ताव रखा है जब यह साबित हो गया है कि एफडीआई खेमेबाजी और रिश्वतखोरी के कंधे पर सवार हो कर आई है." बीजेपी के ही एक और नेता वेंकैया नायडू ने कहा है, "हम इस मुद्दे पर सदन में प्रधानमंत्री के बयान की मांग करते हैं. इसके साथ ही इसकी स्वतंत्र रूप से जांच भी होनी चाहिए."
बीजेपी का कहना है कि भारत में खेमेबाजी करने पर पाबंदी है. पार्टी के मुताबिक अमेरिकी संसद में यह बात जाहिर हो गई है कि वालमार्ट ने भारत समेत दूसरी जगहों पर बाजार बनाने के लिए खेमेबाजी करने में 125 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. रविशंकर प्रसाद का कहना है कि इससे यह साबित है कि वालमार्ट ने भारत में खेमेबाजी की है. इन नेताओं का कहना है कि ऐसे गंभीर मामले पर सरकार चुप बैठी नहीं रह सकती, यह भारत और भारतीय संसद की छवि का सवाल है.
सारा दोष अंग्रेजी का
वामपंथी नेता सीताराम येचुरी ने इस मामले में स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है. येचुरी ने कहा, "हम यह नहीं कर रहे कि किसने पैसा लिया या नहीं. हम यह कह रहे हैं क वालमार्ट खुद कह रहा है कि उसने पैसे खर्च किए हैं. अदालतों में भ्रष्टाचार के मामले हैं इसलिए सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए." समाजवादी पार्टी के नेता मोहन सिंह ने भी कहा कि सरकार को इस मामले की जांच करानी चाहिए. मोहन सिंह ने कहा कि यह जानी हुई बात है कि जब कोई विदेशी कंपनी भारतीय बाजार में घुसती है तो वो बहुत सारा पैसा खर्च करती हैं. मोहन सिंह को जब पत्रकारों ने याद दिलाया गया कि उनकी पार्टी ने ही एफडीआई पर सरकार की नैया पार लगाई थी तो उन्होंने सारा दोष अंग्रेजी भाषा के मत्थे मढ़ दिया. मोहन सिंह ने कहा, "समाजवादी पार्टी का कोई नेता अंग्रेजी नहीं जानता. इसलिए एसपी किसी विदेशी कंपनी के प्रवेश की वकालत नहीं कर सकती. एसपी की वालमार्ट के सौदे में कोई भूमिका नहीं."
एनआर/एएम(पीटीआई)