विंटर ओलंपिक्स: भारत के लिए स्कीइंग करेंगे ताशी
८ फ़रवरी २०१०सेना में काम करने वाले ताशी लोंडुप भारत के खेल प्रेमियों के लिए एक अनजाना सा नाम हैं. वह एक ऐसे खेल में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसके बारे में भारतीय जनता न के बराबर सोचती है. वैंकूवर रवाना होने से पहले स्कीइंग खिलाड़ी ताशी से ख़ास बातचीत की डॉएचे वेले संवाददाता अशोक कुमार ने.
सवाल: कैसा लगता है विंटर ओलंपिक्स में भारत की नुमाइंदी करने पर.
ताशी: बहुत अच्छा लगता है, पहली बार मुझे ओलंपिक खेलों में शामिल होने का मौक़ा मिला है. मुझे पदक जीतने की उम्मीद कम है लेकिन सीखने को काफ़ी कुछ मिलेगा. मेरी रैंकिंग सुधरेगी. अच्छी बात यह है कि वहां मुझे दूसरे खिलाड़ियों को देखना मौक़ा मिलेगा. स्कीइंग में आ रही नई तकनीक देखने को मिलेगी. अपनी कमियों को देखना मौक़ा मिलेगा और मैं अन्य लोगों से बातचीत कर पाऊंगा.
सवाल: ताशी आपने विंटर ओलंपिक्स के लिए बहुत तैयारियां की होंगी. कितनी उम्मीदें हैं आप लगाकर जा रहे हैं इस बार.
ताशी: मैं इतना तो नहीं कह सकूंगा कि मैं मैडल जीत पाऊंगा. 2005 में मुझे पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौक़ा मिला, तुर्की में. उस समय मुझे महसूस हुआ कि मेरी तकनीक इस तरह की है और बाक़ियों की किस तरह अलग है. उस समय मुझे पता चला कि बाहर के लोग तकनीक के मामले में कितने सुधर रहे हैं.
सवाल: आपने कहा मैडल जीतने की उम्मीद तो आप नहीं कर रहे हैं लेकिन इससे रैंकिंग ज़रूर सुधरेगी आपकी. आप यह बताएं कि किस तरह की परेशानियां आपको आती हैं भारतीय खिलाड़ी होने के नाते. एक ऐसे देश में जहां क्रिकेट ही खेलों का पर्याय माना जाता है.
ताशी: देखिए, तीन राज्य जम्मू कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड को छोड़कर कहीं बर्फ़ का इलाका है ही नहीं. इस वजह से किसी को स्की के बारे में मालूम ही नहीं है. मुझे लगता है कि अगर बचपन से यानी सही समय से ही कोचिंग मिले तो आगे हमारे भारत को भी ओलंपिक मैडल मिल सकता है. मैंने पिछले सात साल में काफ़ी मेहनत की है. पहले तो मैं फौज में भर्ती हुआ फिर ट्रेनिंग हुई और उसके बाद में स्की टीम के लिए चुना गया. तब जाकर मैंने क़रीब 17 साल की उम्र में स्कीइंग शुरू की. बाहर के लोग जैसे यूरोपीय देशों में चार साल, पांच साल की उम्र से ही बच्चे स्कीइंग करने लगते हैं. अगर सरकार ध्यान दे तो यह भारत में हो सकता है.
सवाल: ताशी स्कीइंग के अलावा आपको किस किस चीज़ का शौक है, फ़िल्में देखते हैं और क्या क्या करते हैं?
ताशी: जब मैं बाहर होता हूं तो टीवी पर स्कीइंग ही देखता हूं क्योंकि उससे मुझे काफ़ी कुछ सीखने को मिलता है. बाक़ी जब मैं भारत में होता हूं तो कभी कभार ही स्कीइंग मुक़ाबले टीवी आते हैं और मैं वही देखता हूं. बाक़ी वक्त मैं क्रिकेट और फ़ुटबॉल देखता हूं.