व्हेल मछलियों के शिकार पर रोक लगाने की कोशिश
२१ जून २०१०मोरक्को के अगादीर शहर में अंतराष्ट्रीय व्हेल कमीशन की बैठक कई दिनों से चल रही है. कमेटी के सचिव क्रिस्टियान माक्विएरा ने कहा, "अगले दस सालों तक व्हेल मछली के शिकार को सीमित कर दिया जाएगा और व्हेल मछली के मांस के व्यापार पर कड़ी पाबंदी लगायी जायेगी". कमेटी ने व्हेल मछली की चार प्रजातियों के सालाना शिकार को साल 2020 तक कम करने को कहा है. समझौते के अनुसार हर पांच साल में व्हेल मछली का शिकार दस फीसदी घटना चाहिए.
लेकिन इस समझौते को लेकर वैज्ञानिक खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि व्हेल मछली के शिकार को इस तरह से सीमित करना संभव नहीं है. वैज्ञानिको का कहना है कि उत्तर प्रशांत महासागर की ब्राइड व्हेल, उत्तरी अटलांटिक महासागर की फिन व्हेल, और उत्तरी पूर्व महासागर की मिंक व्हेल का शिकार सीमा से बाहर हो रहा है.
समझौते के मसौदे से कई देशों को आपत्ति है. आइसलैंड का मानना है कि व्हेल मछली के व्यापार पर पाबंदी नहीं लगानी चाहिए जबकि जापान का कहना है कि शिकार को सालाना दस प्रतिशत कम करना मुश्किल है नॉर्वे को भी प्रस्तावित डील में कई समस्याएं नजर आ रही हैं. जर्मनी की समुद्री जीव वैज्ञानिक डाईमर का कहना है कि अगर व्हेल मछली के शिकार को सीमित करना है तो हर दस साल में नहीं बल्कि हर दो साल में इसकी जांच होनी चाहिए.
1986 से लेकर आज तक कुल पैंतीस हज़ार व्हेल मछलियों का शिकार किया गया है. ये आंकड़े सिर्फ नॉर्वे, आइसलैंड और जापान के हैं. अन्य देशों में कुल आठ हज़ार व्हेल मछलियों का शिकार हुआ है. फ़्रांस म्युजियम ऑफ नैचुरल हिस्ट्री के शोधकर्ता जोन बेनों चरासी का कहना है कि जापान व्हेल मछली के शिकार का कारण वैज्ञानिक शोध बताता है. लेकिन इसका सच्चाई से कोई भी ताल्लुक नहीं है.
चरासी का कहना है कि जापान में व्हेल का मीट खुले आम बाज़ार में बेचा जाता है और अब भी होटलों में मिलता है. व्हेल की ऐसी कई प्रजातियां हैं जिनकों बहुत खतरा है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 1994 और 2006 के बीच जापान और दक्षिण कोरिया में एक हजार से भी ज्यादा मिंक व्हेल को मारा गया.डील के इस मसौदे को लेकर कई विवाद खड़े हुए हैं और अभी तक इनका हल नहीं निकला गया है. लेकिन कमेटी की यही कोशिश है कि व्हेल के शिकार पर पाबंदी लगायी जाए.
रिपोर्ट: एजेंसियां/जैसू भुल्लर
संपादन: एस गौड़