श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा दें भारत और चीनः मैर्केल
१५ जून २०११मैर्केल ने जोर देकर कहा कि प्रवासी कामगारों को जीवन की सुविधाएं निष्पक्ष और समान रूप से मिलनी चाहिए. जिनीवा में 100वीं इंटरनेशनल लेबर कांग्रेस में मैर्केल ने विवादित सामाजिक मानकों की जोरदार पैरवी की. उन्होंने कहा कि देशों को अपने घरेलू कामगारों को सुरक्षा देने के लिए नई संधि को स्वीकार करना चाहिए.
कामगारों की स्थिति को लेकर मैर्केल ने अपने देश की तारीफ की. उन्होंने कहा कि मालिकों और कामगारों के बीच सामाजिक साझेदारी की वजह से ही जर्मनी 2009 के गंभीर आर्थिक संकट से बाहर निकल सका.
मैर्केल ने कहा, "यह ऐसा मुद्दा है जो आधिकारिक रोजगार की छाया में रहा है. इस बारे में ऐसे मानक तय किये जाने बहुत जरूरी हैं जो मानव गरिमा का सम्मान करें और कामगारों के लिए संतोषजनक स्तर मुहैया कराएं."
भारत की राय
सोमवार को भारत के श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस बारे में कहा था कि भारत निष्पक्ष और समेकित भूमंडलीकरण का पक्षधर है जिसमें सम्मानजनक काम के लिए भरपूर जगह हो. उन्होंने कहा, "भारत विकसित देशों के विकास मॉडल का अंधाधुंध अनुकरण नहीं करता. हमने औपचारिक और अनौपचारिक सेक्टर में श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और वहनीय स्वास्थ्य बीमा जैसी कई योजनाएं शुरू की हैं."
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के कन्वेंशन में दुनियाभर के लगभग 5.26 करोड़ घरेलू कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा देने का लक्ष्य है. इसके दस्तावेज में कामगारों को हफ्ते में एक छुट्टी और सालानी छुट्टी या आराम के दिन मालिक के घर में ही रहने की बाध्यता खत्म करने जैसी बातें शामिल हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः आभा एम