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श्रीलंका: अमेरिकी कोर्ट का समन खारिज

Priya Esselborn१९ जून २०११

गृह युद्ध के दौरान हुई कथित ज्यादतियों पर दर्ज मुकदमें में अमेरिकी अदालत से मिले समन को श्रीलंका ने खारिज किया. श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को समन भेजा गया है. मुकदमे में तीन करोड़ डॉलर के मुआवजे की मांग.

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तस्वीर: AP

समन को खारिज करते हुए श्रीलंका में न्यायिक मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि अमेरिकी अदालत से राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को भेजा गया समन देश के कानून का हनन है. श्रीलंका के मुताबिक अगर इस समन पर कार्रवाई होती है तो वह श्रीलंका की संप्रभुता के खिलाफ होगी.

श्रीलंका के अल्पसंख्यक तमिल समुदाय के अमेरिकी वकील ब्रूस फेन ने मुकदमा दर्ज किया है. यह समन तीन मुकदमों के सिलसिले में है जो "गैरकानूनी" ढंग से मारे गए तमिल युवकों के परिजनों ने दर्ज कराए हैं. इन युवकों की हत्या कथित रूप से श्रीलंका में गृह युद्ध के दौरान हुई. अदालत में याचिका दायर करने वाले लोग अमेरिकी कानून के तहत वित्तीय मुआवजे की मांग कर रहे हैं. मुकदमों में तीन करोड़ अमेरिकी डॉलर का हर्जाना मांगा गया है और श्रीलंका सेना का प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को समन भेजा गया है.

Flüchtlinge in Sri Lanka
तस्वीर: AP

जांच का दबाव

श्रीलंका पर लंबे समय से दबाव है कि तमिल अलगाववादियों के साथ हुए गृह युद्ध में युद्धापराधों के आरोपों की जांच कराई जाए. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने पिछले हफ्ते इस मुद्दे पर कार्रवाई करने की श्रीलंका से अपील की. प्रधानमंत्री कैमरन की यह अपील ब्रिटेन में चैनल 4 पर प्रसारित एक डोक्यूमेंट्री फिल्म के बाद जारी हुई. इस फिल्म में एक फुटेज में दिखाया गया है कि श्रीलंकाई सेना ने गैरकानूनी ढंग से तमिल विद्रोहियों की हत्या की. फिल्म में ऐसी महिलाओं के शव भी दिखाए गए जिनकी हत्या किए जाने से पहले उनके साथ यौन दुराचार हुआ.

श्रीलंका सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक उसके पास पुख्ता सबूत हैं कि गृह युद्ध के दौरान श्रीलंकाई सैनिकों और तमिल विद्रोहियों ने युद्धापराध किए. संयुक्त राष्ट्र ने भी जांच की मांग की है. संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक गृह युद्ध के आखिरी दिनों में 40 हजार से ज्यादा लोग मारे गए. तमिल विद्रोही संगठन एलटीटीई सरगना प्रभाकरन की मौत के बाद 2009 में श्रीलंका में गृह युद्ध समाप्त हो गया.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: आभा एम

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