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श्रीलंका में विजय परेड, ताक़त की नुमाइश

३ जून २००९

प्रभाकरण की मौत साथ लिट्टे के सफ़ाए का दावा करने वाले श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने बुधवार को कोलंबो में एक विजय परेड को संबोधित किया. राजपक्षे ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय रिश्ते अब नए सिरे से गढ़े जाएंगे.

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लिट्टे के ख़िलाफ़ युद्ध में इस्तेमाल हथियारों का भी हुआ प्रदर्शनतस्वीर: AP

कोलंबो में बुधवार सुबह टैंक और दूसरे हथियारों के साथ श्रीलंका की सेना विजय परेड के लिए इकट्ठा हुई. परेड में लिट्टे के ख़िलाफ़ जंग जीतने वाली सेना और उसके हथियार भी प्रदर्शित किए गए. जवानों के साथ श्रीलंका की थल, जल और वायुसेना के प्रमुख भी थे. विजय परेड की शुरुआत करते हुए श्रीलंकाई सेना के तीनों प्रमुखों ने राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को एक स्मृति चिन्ह भेंट किया. इस स्मृति चिन्ह में संदेश था कि लिट्टे के ख़ात्मे के साथ ही आज़ादी और एकीकरण के तहत श्रीलंका अब एक झंडे के नीचे आ गया है.

Flüchtlingslager in Sri Lanka
अब भी बेघर हैं लाखों तमिलतस्वीर: AP

तमिल विद्रोहियों के साथ 26 साल तक चली लड़ाई को याद करते हुए श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे ने कहा कि लिट्टे के साथ संघर्ष में 24,000 जवानों की मौत हुई और हज़ारों विकलांग हो गए. उन्होंने साफ़ किया यह लड़ाई लिट्टे के ख़िलाफ़ थी न कि तमिलों के खिलाफ़. राजपक्षे ने कहा कि अब चुनौती लिट्टे के क़ब्ज़े में रहे देश को उत्तरी इलाक़े में पुर्नवास की है.

हालांकि दुनिया के कई देश श्रीलंका सरकार पर तमिलों की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं लेकिन विदेश मंत्री रोहिता बोगोलामा कहते हैं, ''मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बताना चाहता हूं कि सेना ने लिट्टे के क़ब्ज़े वाले इलाक़े से 20 हज़ार से ज़्यादा लोगों को सकुशल बाहर निकाला. लिट्टे के सफ़ाए के साथ सेना ने राहत और बचाव के काम में भी ध्यान केंद्रित रखा था. उन्होंने कहा, ''श्रीलंका सरकार की आगे की विदेश नीति के बारे में राष्ट्रपति राजपक्षे ने कहा कि, ''जिन देशों ने श्रीलंका को आज़ादी और संप्रभुता में मदद की है. हम उनके शुक्रगुज़ार हैं.''

विजय परेड के मौक़े पर राष्ट्रपति राजपक्षे पश्चिमी देशों और संयुक्त राष्ट्र की चिंताओं पर कुछ नहीं बोले. श्रीलंका के दौरे पर गए संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा था, ''मैं दुनिया के कई लड़ाई वाले इलाक़ों में गया हूं लेकिन मैंने इतना बुरी हालत कहीं नहीं देखी.''

श्रीलंका सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि लिट्टे का सफ़ाया करने के नाम पर उसने हज़ारों बेगुनाहों को मौत के घाट उतारा है. कई देश श्रीलंका सरकार के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराध अदालत में मुक़दमा चलाने की भी मांग कर चुके हैं. पड़ोसी देश भारत समेत दुनिया के कई देश तमिलों को लेकर उसकी नई नीति की तरफ़ बारीक़ी से देख रहे हैं.


रिपोर्ट: डीपीए/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार