संकटग्रस्त ग्रीस की पापांद्रेऊ सरकार ने विश्वास मत जीता
५ नवम्बर २०११शनिवार सुबह ग्रीस की संसद पर दुनियाभर के वित्तीय बाजारों और खासतौर पर यूरोपीय नेताओं की नजरें लगी थीं. हालांकि पापांद्रेऊ की सोशलिस्ट पार्टी के पास थोड़ा सा ही बहुमत है और उन्हें विद्रोहियों से भी निपटना था. लेकिन वह विश्वास मत हासिल करने में कामयाब रहे. संसद के स्पीकर ने एलान किया कि 298 में 153 प्रतिनिधियों ने प्रस्ताव का समर्थन किया.
वोटिंग से पहले पापांद्रेऊ ने कहा कि वह देश में राष्ट्रीय एकता वाली सरकार बनाने को तैयार हैं. उन्होंने यूरोपीय संघ से मिलने वाले विशाल राहत पैकेज को सही जगह इस्तेमाल करने के लिए विस्तृत गठबंधन बनाने की भी बात कही. वोटिंग से कुछ ही देर पहले उन्होंने कहा कि वह ऐसी सरकार बनाने के लिए वह शनिवार को ही राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे. उन्होंने सांसदों से कहा, "आप सभी से अपील है कि ईमानदार और व्यापक समर्थन दें. जो बदलाव होने जा रहे हैं वे ऐतिहासिक होंगे और उनमें नागरिकों की हिस्सेदारी जरूरी है."
विश्वास मत पर बहस के दौरान पापांद्रेऊ के मंत्रियों ने कहा कि आपस में झगड़ रहे ग्रीस के नेताओं को मिल जुलकर काम करना चाहिए ताकि दिवालिया होने के कगार पर खड़े मुल्क को संकट से बाहर निकाला जा सके. जब यह बहस चल रही थी तब हजारों वामपंथी संसद के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे. वे लोग नारे लगा रहे थे, ढोल बजा रहे थे और ग्रीस के साथ साथ लाल झंडा भी फहरा रहे थे. मुख्य चौराहे सिंटाग्मा पर लोगों के रेले पहुंच रहे थे. भीड़ को काबू में रखने के लिए सैकड़ों की तादाद में पुलिस जवान तैनात थे. भीड़ में एक बच्ची अपने पिता के कंधों पर एक तख्ती पकड़े बैठी थी. उस तख्ती पर लिखा था, "मेरी दादी को देखभाल चाहिए, मेरी मां को नौकरी चाहिए और मुझे किताबें."
ग्रीस इस वक्त कर्ज से दबा हुआ है. उसे संकट से बचाने के लिए यूरोपीय संघ ने 100 अरब यूरो का राहत पैकेज मंजूर कर लिया है. लेकिन पापांद्रेऊ ने यह एलान करके सबको मुश्किल में डाल दिया कि राहत पैकेज लेने या न लेने के मुद्दे पर जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए. उनकी इस बात का विपक्ष के अलावा उनकी अपनी पार्टी के अंदर से भी विरोध हो रहा है. विरोधियों का कहना है कि अगर राहत पैकेज के विरोध में मत आया तो देश मुश्किल में पड़ जाएगा. 15 दिसंबर तक ग्रीस को अपने कर्जे चुकाने के लिए आठ अरब यूरो की जरूरत है. अगर देश में राजनीतिक अस्थिरता जारी रही तो यूरोपीय संघ की ओर से उसे यह पैसा नहीं मिल पाएगा. इसका नतीजा ग्रीस के लिए ही नहीं, यूरोप के वित्तीय बाजारों के लिए भी घातक हो सकता है.
हालांकि बाद में वित्त मंत्री एवांजेलोस वेनिजेलोस ने यूरोपीय संघ को बताया कि जनमत संग्रह की योजना खारिज कर दी गई है. लेकिन इसके बावजूद राष्ट्रीय एकता वाली सरकार बनाने के मुद्दे पर विश्वास मत लाया गया. अनिश्चितता के इस माहौल में ग्रीस की स्टॉक मार्केट 1.17 फीसदी नीचे बंद हुई.
रिपोर्टः एएफपी/एपी/वी कुमार
संपादनः एन रंजन