संन्यास में देर कर रहे हैं सचिनः इमरान
३१ जनवरी २०१२पाकिस्तान को 1992 में क्रिकेट विश्वकप जिताने वाले इमरान खान अपनी राजनीतिक पारी में भी उतने ही कामयाब रहे हैं जितनी क्रिकेट की पारी में. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के इस संस्थापक अध्यक्ष को देश के अगले प्रधानमंत्री के तौर पर देखा जा रहा है. कोलकाता पुस्तक मेले में आए इमरान को देखने-सुनने के लिए उनके प्रशंसकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. इमरान ने क्रिकेट की बेहतरी के लिए तो सुझाव दिए ही, भारत-पाक के आपसी रिश्तों को सुधारने की दिशा में ठोस पहल की भी वकालत की. अरसे बाद कोलकाता आए इमरान ने सोमवार को पुस्तक मेला और टाइगर पटौदी मेमोरियल लेक्चर के दौरान अपनी बातों से लोगों को सम्मोहित कर दिया.
कश्मीर समस्या
इमरान सबसे पहले पहुंचे पुस्तक मेले के साहित्य सम्मेलन में. वहां उन्होंने अपनी पुस्तक पाकिस्तानःए पर्सनल हिस्ट्री पर तो चर्चा की ही, राजनीति, क्रिकेट, कश्मीर और भारत-पाक के आपसी रिश्तों पर भी खुल कर अपने विचार रखे. इमरान खान मानते हैं कि कश्मीर की समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं होने के लिए भारत और पाकिस्तान का मौजूदा नेतृत्व जिम्मेदार है. उन्होंने कहा, "कश्मीर की समस्या एकतरफा तरीके से हल नहीं हो सकती. दोनों देशों को मिल बैठ कर आपसी बातचीत के जरिए इसका स्थायी समाधान करना होगा."
इमरान ने कहा कि दोनों देशों की इतिहास और संस्कृति समान रही है. इसके बावजूद हमारे रिश्ते तनावपूर्ण हैं. उनका सवाल था कि अगर अब भी इस तनाव को कम करने की दिशा में ठोस पहल नहीं हुई तो आने वाली पीढ़ी को हम क्या सौगात देंगे? कश्मीर समस्या के समाधान के बिना भारत पाकिस्तान संबंधों में सुधार संभव नहीं है. इमरान का कहना था कि अगले चुनाव में उनकी पार्टी अगर सत्ता में आई तो भारत के साथ संबंध सुधारना उसकी प्राथमिकता होगी.
अन्ना बनाम इमरान
भारत में अन्ना हजारे के आंदोलन के साथ अपनी तुलना के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारे आंदोलन में समानता यह है कि हम दोनों भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं. लेकिन अंतर यह है कि अन्ना दबाव का आंदोलन कर रहे हैं जबकि मेरा आंदोलन राजनीतिक है. उनका सुझाव है कि अन्ना को राजनीतिक दल बना कर भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक पैमाने पर आंदोलन करना चाहिए. उनको राजनीति में आना चाहिए. लोगों को अन्ना से काफी उम्मीदें हैं. वह अगर राजनीति में शामिल हो जाएं तो उनका आंदोलन और असरदार हो सकता है.
"दबाव के आंदोलन से आपको सरकार पर नीतियां बदलवाने में कामयाबी मिल सकती है. लेकिन राजनीतिक आंदोलन के जरिए आप सत्ता पर काबिज होकर भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए ठोस कदम उठा सकते हैं."
पाकिस्तान सरकार
इमरान की नजरों में पाकिस्तान की मौजूदा सरकार देश के इतिहास की सबसे भ्रष्ट और निकम्मी सरकार है. वे कहते हैं, "इस सरकार में भ्रष्टाचार से मुकाबले की इच्छाशक्ति ही नहीं है. पूरा देश भ्रष्टाचार में डूबा है. लेकिन बहुत दिनों तक ऐसा नहीं चल सकता. मेरी पार्टी ने इस भ्रष्टाचार के खात्मे को ही अपना हथियार बनाया है." वह कहते हैं कि पाक सुप्रीम कोर्ट तो भ्रष्टाचार से लड़ रहा है. लेकिन सरकार उसकी राह में बाधाएं खड़ी कर रही है. उन्होंने कहा कि भारत व पाकिस्तान दोनों देश भ्रष्टाचार की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं. इस पर अंकुश लगाने के लिए जवाबदेही तय करनी होगी. अगर प्रधानमंत्री और उनका मंत्रिमंडल जवाबदेह हो तो इस समस्या पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है. लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं है. अगर सरकार के पास भ्रष्टाचार से लड़ने की इच्छाशक्ति नहीं है तो कोई कानून इस समस्या को नहीं मिटा सकता. उनका सुझाव है कि पाकिस्तान को मौजूदा राजनीतिक संकट से उबारने के लिए राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. लेकिन वह सेना की ओर से तख्तापलट के खिलाफ हैं. उनका कहना है कि चुनाव ही देश को इस संकट से उबार सकते हैं. इमरान की पार्टी पर पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ साठगांठ के आरोप लगते रहे हैं. लेकिन वह इन आरोपों को निराधार बताते हैं. वह कहते हैं, "जो शख्स खुद ही देश से बाहर रह रहा है उससे भला कोई समझौता कैसे हो सकता है?"
टी-20 बनाम टेस्ट क्रिकेट
इमरान खान मानते हैं कि अगर भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) पर अंकुश नहीं लगाया तो इससे क्रिकेट को भारी नुकसान होगा. वह कहते हैं कि अपने पूरे करियर में उन्होंने क्रिकेट से जितना पैसा नहीं कमाया उससे कहीं ज्यादा रकम नए खिलाड़ी आईपीएल के कुछ मैच खेल कर कमा लेते हैं. वह हाल के इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया दौरों के दौरान भारतीय खिलाड़ियों के खराब प्रदर्शन के लिए भी आईपीएल को ही जिम्मेदार मानते हैं. उनका कहना था कि जरूरत से ज्यादा टी-20 मैच खेलने वाले खिलाड़ियों को टेस्ट मैचों में इसकी कीमत चुकानी पड़ती है. मुझे पहले से ही अंदेशा था कि यह भारतीय टीम आस्ट्रेलिया में बेहतर प्रदर्शन नहीं करेगी. लेकिन उसका प्रदर्शन इतना खराब रहेगा, इसका अंदेशा नहीं था. पिछले साल विश्वकप के समय जो टीम बेहतरीन फार्म में थी वह अब अचानक बिखरती नजर आ रही है. विदेशी सरजमीं पर लगातार आठ टेस्ट मैचों में पराजय अपने आप में एक उपलब्धि है. नए खिलाड़ियों को टेस्ट मैच खेलने को ज्यादा तरजीह देनी चाहिए. क्रिकेट बोर्ड के लिए भी यह खतरे की घंटी है. भारत में जब तक क्रिकेट के ढांचे को पुनर्गठित नहीं किया जाएगा, प्रदर्शन में गिरावट जारी रहेगी. इमरान ने कहते हैं कि आपके सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों की उम्र लगातार बढ़ रही है. लेकिन उनकी जगह लेने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है. इससे दूरदर्शिता का अभाव साफ झलकता है, "अगर मैं ऐसी टीम में होता जिसने लगातार आठ मैच हारे हों तो मैं क्रिकेट छोड़ देता."
सचिन का संन्यास
इमरान कहते हैं कि लिटिल मास्टर सचिन तेंदुलकर को पिछले साल विश्वकप जीत के बाद ही संन्यास ले लेना चाहिए था. वह उनके लिए सबसे उपयुक्त समय था. आप आस्ट्रेलिया से 0-4 से सीरिज हार कर निश्चित ही क्रिकेट को अलविदा नहीं कहना चाहेंगे. उनका कहना था कि संन्यास का समय चुनने का फैसला खिलाड़ियों पर छोड़ देना चाहिए. प्रबंधन को ऐसे खिलाड़ियों का विकल्प तलाशने पर ध्यान देना चाहिए ताकि अचानक शून्य की स्थिति नहीं पैदा हो. भारत के तीन या चार खिलाड़ी अब संन्यास की ओर बढ़ रहे हैं. सचिन के महाशतक के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा कि महान खिलाड़ियों के लिए आंकड़े कोई मायने नहीं रखते. महान खिलाड़ी रिकॉर्ड के लिए नहीं खेलते. रिकॉर्ड तो अपनेआप ही बनते रहते हैं. सचिन एक महान खिलाड़ी हैं. संन्यास के बाद लोग उनकी महानता को याद रखेंगे. कोई यह याद नहीं करेगा कि उनके 99 शतक हैं या 100. इमरान ने भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंधों को बहाल करने की भी वकालत की. उनका कहना है, "अब पुरानी बातें भूल कर दोबारा इसे शुरू करना चाहिए. विश्वकप सेमीफाइनल के बाद दोनों टीमें आमने सामने नहीं हुई हैं. अब एक नए दौर की शुरूआत का समय आ गया है."
टाइगर पटौदी की यादें
इमरान ने पूर्व भारतीय कप्तान टाइगर पटौदी मेमोरियल लेक्चर के दौरान पटौदी के व्यक्तित्व के विभिन्न अनछुए अनदेखे पहलुओं को उजागर करते हुए उनसे जुड़ी यादें साझा कीं. उन्होंने कहा, "शुरुआती दिनों में टाइगर पटौदी मेरे लिए प्रेरणा स्त्रोत थे. मेरे चचेरे भाई जावेद बुर्की और मंसूर अली खान मेरे आदर्श थे. जावेद कहते थे कि अगर टाइगर की एक आंख की रोशनी नहीं गई होती तो उन्होंने तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए होते. हम दोनों ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़े थे. पटौदी पढ़ने में जितने जहीन थे, क्रिकेट में उनको उतनी ही महारत हासिल थी. वह क्रिकेट का जमकर लुत्फ उठाते थे और शायद उनकी कामयाबी की भी यही प्रमुख वजह थी."
कोलकाता पुस्तक मेले के साहित्य सम्मेलन और उसके बाद टाइगर पटौदी मेमोरियल लेक्चर में इमरान को सुनने के लिए भारी तादाद में लोग जुटे थे. इमरान को सुनने की जितनी ललक आम लोगों और साहित्य प्रेमियों में थी, उससे कहीं ज्यादा ललक उनको अपने कैमरों में कैद करने के लिए फोटोग्राफरों में थी. इमरान के कोलकाता दौरे ने साबित कर दिया कि क्रिकेट खेलने के दिनों में इमरान के व्यक्तित्व में जो चुंबकीय आकर्षण था वह अब भी रत्ती भर कम नहीं हुआ है जब क्रिकेटर से राजनेता बने इस पठान को पाकिस्तान को अगला प्रधानमंत्री माना जा रहा है.
रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता
संपादनः ए जमाल