सचिन और मुरली का आखिरी सामना
२ अप्रैल २०११वनडे क्रिकेट में 534 विकेट ले चुके मुथैया मुरलीधरन शनिवार को अपना आखिरी वनडे खेल रहे हैं, वह भी वर्ल्ड कप का फाइनल. टीम चाहती है कि श्रीलंकाई क्रिकेट को नई ऊंचाइयां देने वाले इस योद्धा को वर्ल्ड कप ट्रॉफी के साथ विदाई दी जाए.
लेकिन दिक्कत यह है कि ऐसी ही ख्वाहिश सामने खड़ी टीम इंडिया की भी है. उसके खिलाड़ी भूखे शेरों की तरह वर्ल्ड कप ट्रॉफी पर नजर गड़ाए हुए हैं. पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गुर्राते हुए उन्होंने जीत झपट ली. टीम की धुरी महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर हैं. 22 साल से क्रिकेट खेल रहे तेंदुलकर वर्ल्ड कप जीतना चाहते हैं. 38 साल के होने जा रहे सचिन जानते हैं कि वह अगला वर्ल्ड कप नहीं खेल सकेंगे, इसीलिए वह हर कीमत पर इस बार अपनी तमन्ना पूरी करना चाहते हैं.
साथी खिलाड़ी भी टीम के सबसे बड़े, सीनियर और विनम्र साथी जीत के साथ वर्ल्ड कप से विदा करना चाहते हैं. खुद सचिन बल्ले से लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. वह एक ऐसे मोड़ पर हैं, जहां रिकॉर्ड नहीं बल्कि एक सपना उनका इंतजार कर रहा है. पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने गिरते पड़ते 85 रन बनाए. वो क्रीज पर अटक की जिद सी करते दिखे. उन्हें एहसास था कि अगर आज क्रीज छोड़ दी और फिर वर्ल्ड कप की ये क्रीज कभी नहीं मिलेगी. इसी जिद ने उन्हें आगे बढ़ाया.
लेकिन अब सचिन और मुरली आमने सामने हैं. दोनों के साथ जीत झपटने का मौका है. सचिन के पास 100वां शतक पूरा कर शानदार विदाई का पल है. तो मुरली के पास तीन विकेट लेकर वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाने का भी अवसर है. अब तक वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैक्ग्रा के नाम हैं. मैक्ग्रा ने 71 विकेट लिए हैं.
मुरली घायल हैं कि फिर भी मैदान पर उतर रहे हैं. उनमें जीत की उत्कंठा है, लेकिन इस ख्वाहिश के सामने तेंदुलकर और बाकी के 10 भारतीय खिलाड़ी खड़े हैं. क्रिकेट टीम का खेल हैं. अब देखना है कि कौन सी टीम अपने सितारे का ज्यादा साथ निभाती है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: ए जमाल