सचिन डिसीजन रिव्यू सिस्टम के खिलाफ नहीं
१७ जून २०११इससे पहले ऐसे कयास लगते रहे हैं कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) अंपायर के फैसलों की समीक्षा की व्यवस्था का इसलिए पुरजोर विरोध कर रहा है क्योंकि सचिन तेंदुलकर और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी इसके पक्ष में नहीं हैं. फैसलों की पुनर्समीक्षा के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली तकनीक की अचूकता पर धोनी और सचिन को संदेह है. लेकिन सचिन तेंदुलकर ने स्पष्ट किया है कि वह पूरी तरह इस तकनीक के खिलाफ नहीं हैं.
दिल्ली में एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया, "मैं डिसीजन रिव्यू सिस्टम के खिलाफ नहीं हूं. अगर इसमें स्निकोमीटर और हॉट स्पॉट तकनीक का सहारा लिया जाए तो इससे सही फैसले लेने में ज्यादा आसानी होगी." स्निकोमीटर का इस्तेमाल यह जानने में किया जाता है कि गेंद ने बल्ले का किनारा लिया है या नहीं. हॉट स्पॉट तकनीक से अचूक जानकारी दी जा सकती है कि बल्ले और गेंद या गेंद और पैड का संपर्क कैसे हुआ. अभी तक हॉक आई तकनीक का इस्तेमाल टप्पा खाने के बाद उसकी दिशा और ऊंचाई मापने में किया जाता रहा है.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने मैच के दौरान अंपायर के फैसलों की पुनर्समीक्षा के नियम को जरूरी बनाए जाने की सिफारिश की है. इस नियम के तहत हर टीम एक पारी में अंपायर के फैसले के खिलाफ अपील कर सकती है. लेकिन दो बार अगर अंपायर का फैसला सही साबित होता है तो फिर उसे उस पारी में आगे डिसीजन रिव्यू का अधिकार नहीं होता. वर्ल्ड कप में इस नियम को अमल में लाया गया लेकिन भारतीय टीम इसका विरोध कर रही है.
बीसीसीआई ने इंग्लैंड दौरे से पहले इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड को बता दिया है कि भारतीय टीम इस तकनीक के इस्तेमाल की इच्छुक नहीं है. हालांकि भारतीय टीम के विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग को इससे कोई परेशानी नहीं है. भारतीय टीम के पूर्व कोच गैरी कर्स्टन ने भी इसका समर्थन किया है. वहीं आईसीसी का दावा है कि इस नियम के आने से सही फैसलों की संख्या में सात फीसदी का इजाफा हुआ है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए कुमार