1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सरहदें मिटाने की उम्मीद जगाती मुहिम

२५ मार्च २०१२

1947 में अलग हुए भारत और पाकिस्तान की सरकारों में अविश्वास बना हुआ है, लेकिन पाकिस्तान के सामाजिक कार्यकर्ता दोनों देशों के बीच वीजा कानूनों को आसान करने के लिए मुहिम चला रहे हैं.

https://p.dw.com/p/14RsD
तस्वीर: AP

पाकिस्तान में सामाजिक कार्यकर्ता भारत के साथ बेहतर संबंधों पर काम कर रहे हैं. शनिवार को लाहौर के इंस्टिट्यूट ऑफ पीस एंड सेक्यूलर स्टडीज, आईपीएसएस में मुहिम की औपचारिक रुप से शुरुआत की गई. समारोह में भारत के वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर और पाकिस्तान के मुबशर हसन को सिंधु अमन पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

वीजा कानूनों को आसान करने के मुहिम के तहत एक लाख हस्ताक्षर इकट्ठा किए जाएंगे जिन्हें फिर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के हवाले किया जाएगा. सम्मेलन में भारत से महेश भट्ट और जतिन देसाई के अलावा पाकिस्तानी कार्यकर्ता हुसैन नकी और मदीहा गौहर भी शामिल हुए. इनकी अगुवाई में भारत पाकिस्तान अमन पर बहस भी हुई. कार्यक्रम में भारत से अमन के लिए काम कर रहे लोग, भारत सरकार के अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, व्यवसायी और भारतीय विश्वविद्यालयों के कुछ छात्र भी पहुंचे थे. समारोह में बात कर रहे कार्यकर्ताओं ने कहा कि दोनों देशों के बीच शांति कायम करने के लिए लोगों में संपर्क कराना बहुत जरूरी है और भारत का हर नागरिक पाकिस्तान में अपनों से मिलने जा सकता है. यह हर भारतीय और हर पाकिस्तानी नागरिक का मूल अधिकार है.

बहस के बाद नैयर और हसन ने वीजा प्रक्रिया को आसान करने के लिए मुहिम की शुरुआत की. आईपीएसएस की प्रमुख सईदी दीप ने कहा कि सिंधु अमन पुरस्कार उन लोगों के लिए है जिन्होंने इस इलाके में शांति की अहमियत समझी है और उसके लिए कई कुर्बानियां दी हैं. यह पुरस्कार पहली बार दिया जा रहा है. इसका नाम सिंधु नदी से लिया गया है-माना जाता है कि दक्षिण एशिया की प्राचीन सभ्यता सबसे पहले सिंधु नदी के तटों पर ही बसी थी.

रिपोर्टः पीटीआई/एमजी

संपादनः एन रंजन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी