साउथ सूडान ओ-ई.. फ्रीडम ओ-ई
९ जुलाई २०११लगभग पांच दशकों के संघर्ष के बाद दक्षिण सूडान को अलग राष्ट्र के तौर पर खड़ा किया जा सका है और शनिवार को जब आजाद राष्ट्र अपनी पैदाइश का जश्न मना रहा था तो मंच पर दो धुर विरोधी एक साथ नजर आ रहे थे. एक तरफ दक्षिण सूडान के राष्ट्रपति सल्वा कीर और दूसरी तरफ सूडान के उमर हसन अल बशीर. जनवरी में जनमत संग्रह के दौरान साउथ सूडान के लोगों ने अलग राष्ट्र के लिए वोट दिया. 2005 में सूडान में शांति संधि के दौरान ही यह शर्त रखी गई थी कि दक्षिणी हिस्से में जनमत संग्रह कराया जाएगा.
शुक्रवार आधी रात से ही जश्न का दौर शुरू हो गया था. राजधानी जूबा की ऊबड़ खाबड़ सड़कों पर लाखों लोग जमा हो गए थे और सुरक्षा बलों ने एक बार तो उन्हें हटाने की भी कोशिश की. लेकिन थोड़ी देर बाद वे फिर जमा हो गए और गाने लगे, "साउथ सूडान ओ-ई.. फ्रीडम ओ-ई.."
तपती दुपहरी में जब दक्षिण सूडान के संसद स्पीकर जेम्स वानी इग्गा ने स्वतंत्रता का घोषणापत्र पढ़ना शुरू किया, तो कुछ लोग गर्मी के मारे बेहोश भी होने लगे.
इग्गा ने कहा, "हम लोग, जो कि यहां के लोगों द्वारा लोकतांत्रिक तौर पर चुने गए प्रतिनिधि हैं, आज घोषणा करते हैं कि दक्षिण सूडान एक स्वतंत्र और सार्वभौमिक देश है..." इसके बाद सूडान के झंडे को नीचे कर दिया गया और दक्षिण सूडान का छह रंगों वाला पताका धीरे धीरे ऊपर चढ़ने लगा. राष्ट्रपति सल्वा कीर ने पद और गोपनीयता की शपथ ली.
लोगों में जोश
वहां जमा लोगों में जोश भर गया. वे आसमान में अपनी मुट्ठियां लहराने लगे. कोई रोने लगा, कोई खुशी के मारे गिर पड़ा. एक युवा ने पास खड़ी महिला को बाहों में भर लिया, "हमें मिल गया, हमें मिल गया."
इस मौके पर उत्तर सूडान ने भाइचारे का बड़ा संकेत दिया और हमेशा से एक सूडान की वकालत करने वाले राष्ट्रपति उमर अल बशीर भी इस मौके पर आए. हालांकि यहां आए पश्चिमी देशों के नेताओं को भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत ने बशीर के खिलाफ वारंट जारी कर रखा है और पश्चिमी नेताओं को उनके साथ ही मंच पर बैठना पड़ा. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून और 30 राष्ट्रों के बड़े नेता जूबा आए हैं. दूर मस्त जनता लगातार गा रही थी, "साउथ सूडान ओ-ई.. फ्रीडम ओ-ई.."
मिल गई मान्यता
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने दक्षिण सूडान को मान्यता दे दी है, जबकि कई और देशों ने भी इस अलग राष्ट्र को मान्यता देने का एलान कर दिया है. राष्ट्रपति कीर ने जब गृह युद्ध के हीरो जॉन गारांग की विशालकाय मूर्ति का अनावरण किया, तो वहां लोग भावुक हो उठे. गारांग ने ही उत्तर सूडान के साथ शांति समझौते पर दस्तखत किए थे.
दक्षिण सूडान की सत्ताधारी पार्टी सूडान पीपल्स लिबरेशन मूवमेंट (एसपीएलएम) के महासचिव पागान अमुम ने कहा, "आज हम दुनिया के दूसरे राष्ट्रों के साथ अपना झंडा बुलंद कर रहे हैं. यह दिन जीत और जश्न का है." 34 साल की साइमन अगेनी देर रात से ही सबसे हाथ मिला रही हैं.
उनका कहना है, "आखिरकार हम मुक्त हो गए. उत्तर से अलग होना पूर्ण स्वतंत्रता है." 47 साल के जोमा सिरीलो की खुशी का ठिकाना नहीं, "मैं तो बहुत खुश हूं." अपने बेटे के कंधे पर हाथ रख कर सिरीलो कहते हैं, "क्या आप दोयम दर्जे के नागरिक बनने को तैयार हैं. नहीं. मैं अपने देश में पहले दर्जे का नागरिक बनना चाहता हूं." पास ही पारंपरिक नगाड़ों की आवाज आने लगी. लोग पारंपरिक हथियारों के साथ डांस करने लगे. गाने लगे, "साउथ सूडान ओ-ई.. फ्रीडम ओ-ई.."
क्या हैं विवाद
शुक्रवार को सबसे पहले उत्तर सूडान ने ही दक्षिण सूडान को मान्यता दी. उस वक्त तक औपचारिक तौर पर सूडान का विभाजन हुआ भी नहीं था. लेकिन इस मान्यता से भविष्य में हो सकने वाले तनाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. दोनों तरफ के नेता अभी भी कई मुद्दों पर एकराय नहीं हुए हैं. सबसे अहम सीमा रेखा है, अबयेई प्रांत है और यह भी तय नहीं हुआ है कि तेल से प्राप्त राजस्व को दोनों देश कैसे बांटेंगे, जो अर्थव्यवस्था की रीढ़ है.
शुक्रवार आधी रात को सूडान ने लगभग एक तिहाई जमीन और तीन चौथाई तेल भंडार खो दिया. इसके अलावा सूडान को दारफूर और दक्षिणी कोर्दोफान क्षेत्र से चरमपंथ का भी खतरा बना रहेगा. जानकारों का मानना है कि अगर विवाद हल नहीं किए गए तो दोनों देशों में तनाव और हिंसक संघर्ष शुरू हो सकता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एस गौड़