साधारण जेल में सरबजीत
२८ अक्टूबर २००८पाकिस्तान के टीवी चैनल जिओ न्यूज़ के अनुसार ये इस बात का संकेत हो सकता है कि सरबजीत सिंह को अब फांसी नही दी जाएगी. भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह पर आरोप है कि 1990 में लाहौर और मुल्तान में सिलसिलेवार बम धमाकों में उनका हाथ था. इन धमाकों में 14 लोगों की मौत हो गई थी. पाकिस्तान उनकी पहचान मंजीत सिंह के रूप में करता है और धमाकों में शामिल होने की बात कहता रहा है लेकिन सरबजीत सिंह ने इसे ग़लत बताते हुए अपने को एक किसान बताया है. 1991 में सरबजीत सिंह को मौत की सज़ा दे दी गई थी.
माना जाता है कि शुरूआत में सरबजीत सिंह ने एक मजिस्ट्रेट को दिए एक बयान में बम विस्फोटों में शामिल होने के आरोप को स्वीकार किया था लेकिन उसके बाद हुए मुक़दमें में सरबजीत अपने को निर्दोष बताता रहा है. पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने सरबजीत सिंह की सज़ा के ख़िलाफ़ अपील को पहले नामंज़ूर कर दिया था.
सरबजीत सिंह के परिवार ने मौत की सज़ा माफ़ कराने के लिए एक मुहिम चलाई थी और इस साल पाकिस्तान जाकर कई लोगों से मुलाक़ात की थी. पहले सरबजीत सिंह को 1 अप्रैल 2008 को सज़ा दी जानी थी लेकिन फिर तत्कालीन राष्ट्रपित परवेज़ मुशर्रफ़ ने उसे एक महीने के लिए बढ़ा दिया था लेकिन तबसे ये तारीख़ आगे बढ़ाई जाती रही है. और अब दीवाली के दिन सरबजीत सिंह को लाहौर की साधारण जेल में भेज दिया गया है.
17 सालों से सरबजीत सिंह पाकिस्तान में सज़ा काट रहे हैं.पाकिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ता अंसार बर्नी ने पाकिस्तान सरकार से मांग की थी कि मौत की सज़ा को बदल कर आजीवन कारावास में बदल दिया जाना चाहिए. अंसार बर्नी ने पाकिस्तान में 35 सालों से सज़ा काटने वाले कश्मीर सिंह को रिहा कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.