सिडनी में भारत की हार की कहानी तैयार
४ जनवरी २०१२तीन विकेट पर 116 के आगे खेलते हुए दूसरे दिन रिकी पोंटिंग और माइकल क्लार्क विकेट पर जम गए. पोंटिंग के विकेट पर जमने का मतलब है कि रन बनते रहेंगे, यही हुआ भी. क्लार्क और पोंटिंग के बीच चौथे विकेट के लिए 288 रन की साझीदारी हुई. इशांत शर्मा, जहीर खान, आर अश्विन और उमेश यादव न तो विकेट गिरा सके और न रनों की रफ्तार रोक सके.
पिछले साल 25 से भी कम के औसत से रन बनाने वाले पोंटिंग के लिए 2012 बड़ी मुस्कान लेकर आया. 99 के स्कोर पर एक रन चुराते हुए पोंटिंग बाल बाल बचे. जहीर के सीधे थ्रो से अपने विकेट को बचाने के लिए पोंटिंग ने जोरदार डाइव लगाई. उनके कपड़े गंदे हो गए लेकिन तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उनके चेहरे पर बड़ी राहत थी. करीब दो साल बाद पोंटिंग ने टेस्ट क्रिकेट में शतक जड़ा है.
पोंटिंग ने 134 रन बनाए. उनके आउट होने का ऑस्ट्रेलिया की सेहत और भारत की दुर्दशा पर कोई असर नहीं पड़ा. भारतीय गेंदबाज माइकल क्लार्क को शतक से दोहरे शतक की तरफ बढ़ने से कतई नहीं रोक पाए. वहीं माइकल हसी ने भी क्लार्क का बढ़िया साथ दिया. दोनों 197 की साझीदारी निभा चुके हैं और अब भी क्रीज पर डटे हुए हैं. क्लार्क 251 पर खेल रहे हैं और हसी 55 पर अड़े हैं.
क्रिकेट को अनिश्चितता से भरा खेल कहा जाता है. लेकिन सिडनी टेस्ट का नतीजा करीब करीब तय है. भारत की जीत नामुमकिन है. मैच बचाने के लिए सचिन, द्रविड़ और लक्ष्मण को बड़ी पारियां खेलनी होंगी और बाकी बल्लेबाजों को भी इनका साथ देना होगा. लेकिन मुश्किल यह है कि ऑस्ट्रेलिया के पास अभी से 291 रन की बढ़त हो चुकी है और विदेशी धरती पर पिछले 11 पारियों में भारत सिर्फ एक बार 300 रन बना सका है.
2001 में कोलकाता में टीम इंडिया ने मैजिक कर ऑस्ट्रेलिया के पटखनी दी थी. लेकिन इस बार हालात अलग हैं. इंग्लैंड में शर्मनाक प्रदर्शन के बाद अब टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया की तेज पिचों पर घुटने टेक रही है. न उसकी बल्लेबाजी रंग जमा पा रही है और गेंदबाजी. टीम फिर साबित कर रही है कि वह सिर्फ अपने घर में शेर है. उसके ज्यादातर बल्लेबाज सिर्फ अपने मैदानों पर, जहां गेंद हल्की आती है, कम उछलती है, वहां जमकर गरजते हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: ए जमाल