सीरियाई सेना ने जवाबी मोर्चा खोला
२० जुलाई २०१२विपक्षी गुटों ने दमिश्क पर कब्जे के लिए निर्णायक जंग छेड़ दी है. इस बीच यह भी खबर आई है कि असद सरकार के 20 से ज्यादा शीर्ष सैन्य अधिकारियों सहित सैकड़ों लोगों ने देश छोड़ दिया है. इनमें सीरिया के एक ब्रिगेडियर जनरल और चार कर्नल समेत सेना के 20 बड़े अधिकारी शामिल हैं. खबर है कि करीब 710 लोग रातों रात तुर्की चले गए. तुर्की के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है. फिलहाल तुर्की में सीरिया के 43, 387 शरणार्थी रह रहे हैं. इनमें सेना के 22 जनरल भी हैं.
सीरिया के सरकारी टीवी चैनल ने अंतिम संस्कार की खबर तो दी लेकिन यह नहीं बताया कि इसमें राष्ट्रपति बशर अल असद शामिल हुए या नहीं. बुधवार को बम हमले में असद के करीबी उनके बहनोई आसिफ शौकत, रक्षा मंत्री दाउद राझा और पूर्व सेना प्रमुख हसन तुर्कमानी मारे गए. 16 महीने से चली आ रही जंग में पहली बार असद के करीबियों को निशाना बनाया गया है.
राष्ट्रपति के छोटे भाई मेहर ने संयुक्त रूप से हुए अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया. सीरिया की खुफिया सेवा के प्रमुख हिशाम बख्तियार की भी शुक्रवार को मौत हो गई. बख्तियार भी बुधवार को दमिश्क में हुए बम हमले में घायल हुए थे. हमले के बाद खुद असद भी बस एक बार ही सार्वजनिक रूप से सामने आए हैं. गुरुवार को नए रक्षा मंत्री को शपथ दिलाते वक्त वो टीवी पर नजर आए.
सीरिया की सेना ने विद्रोहियों के खिलाफ पूरी ताकत से मोर्चा खोल दिया है. इस बीच रूस और चीन ने सुरक्षा परिषद में सीरिया पर लाए प्रस्ताव को वीटो कर दिया है. पिछले नौ महीनों में तीसरी बार संयुक्त राष्ट्र में सीरिया के खिलाफ प्रस्ताव को वीटो किया गया. सुरक्षा परिषद में कूटनीतिक तनाव और बढ़ने के आसार दिख रहे हैं. सुरक्षा परिषद ने एलान किया है कि सीरिया में मौजूद संयुक्त राष्ट्र के 300 पर्यवेक्षक की तय समयसीमा शुक्रवार को खत्म हो जाएगी. रूस ने कहा है कि वह पाकिस्तान के उस योजना को समर्थन देगा जिसमें पर्यवेक्षकों की समयसीमा 45 दिन और बढ़ाए जाने का प्रस्ताव है. उधर ब्रिटेन ने आखिरी बार 30 दिन के लिए समयसीमा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है जिसका रूस ने विरोध किया है. यह पर्यवेक्षक शांति के उपायों को लागू होते देखने के लिए वहां तैनात किए गये हैं. हालांकि इनकी तैनाती का अब तक हिंसा पर कोई असर देखने को नहीं मिला है.
सीरिया का सरकारी टीवी चैनल सेना के हमलों की खबरों से भरा हुआ है. सरकार की तरफ से आयोजित दौरों पर गए पत्रकार खाली सड़कें, बंद दुकानें और गोलियों से छलनी इमारतों की तस्वीरें दिखा रहे हैं. इन पत्रकारों ने बीच बीच में गोलियों की आवाज भी सुनी जिनके बारे में सैनिकों का कहना है कि यह स्नाइपरों ने चलाई हैं. टीवी चैनलों ने विद्रोहियों से जब्त किए कुछ हथियारों की भी तस्वीरें दिखाई है जिनमें अमेरिकी कंपनियों की मुहर लगी है. इनके अलावा हाथ बांधे कुछ कैदियों की तस्वीरें भी टीवी पर प्रसारित की गई हैं. सीरिया में मानवाधिकार पर नजर रखने वाली एक संस्था का कहना है कि सरकारी सेना ने दमिश्क के पास जुबार में बहुत जोरदार हमला बोला है.
इधर फ्रांस में रूस के राजदूत ने यकीन जताया है कि सीरियाई नेता बशर अल असद, "शराफत के साथ" जाने को तैयार हैं. हालांकि राजदूत ने इस बात पर जोर दिया कि सीरिया पर रूस के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है. सीरिया के सरकारी टीवी ने राजदूत के इस दावे को "पूरी तरह आधारहीन" कहा है. रेडियो फ्रांस इंटरनेशनल को दिए एक इंटरव्यू में राजदूत अलेक्जेंडर ओरलोव ने कहा कि असद ने जिनेवा में अंतरराष्ट्रीय ताकतों के तैयार किए परिवर्तन की योजना पर सहमति जताई है और अपनी तरफ से बातचीत के लिए एक अधिकारी को नियुक्त भी किया है. यह पूछे जाने पर कि क्या असद किसी भी वक्त यहां से विदा हो सकते हैं, ओरलोव ने कहा, "निजी तौर पर मैं आपके विचार से सहमत हूं. मेरा मानना है कि जो कुछ हुआ है उसके बाद उनके लिए यहां रहना मुश्किल होगा." हालांकि बाद में फ्रांस के बीएफएम टीवी से बातचीत में ओरलोव ने कहा, "संभव है कि अगर बातचीत का यही नतीजा निकलने की स्थिति में वो खुद को जाने के लिए तैयार कर चुके हैं ."हालांकि बाद में पैरिस में रूसी दूतावास के प्रवक्ता सर्गेई बारिनोव ने इंटरफैक्स समाचार एजेंसी को बताया कि ओरलोव के बयान को संदर्भ से अलग हटा कर प्रसारित किया गया है.
एनआर/एमजी (एएफी, रॉयटर्स)