सीरियाई हिंसा की आंच नए शहर में
२७ जुलाई २०१२अलेपो सीरिया की वित्तीय राजधानी है और यहां करीब दो करोड़ 50 लाख लोग रहते हैं. यह सीरिया का सबसे बड़ा शहर भी है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक उसके पास खबर आई है कि अलेपो में राष्ट्रपति असद के सैनिक टैंक लेकर घुस रहे हैं और हेलिकॉप्टरों और हवाई जहाजों के सहारे वहां हमले किए जा रहे हैं.
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता विक्टोरिया न्यूलैंड ने कहा, "हमें चिंता है कि अलेपो में जनसंहार होगा और लगता है कि सरकार यही करने की कोशिश कर रही है." शहर में रह रहे विद्रोहियों के मुताबिक शहर के बाहर से असद के सैनिकों ने गोलियां बरसाईं. इससे शहर के सालादीन, अल सुकारी और अल फरदोस इलाके खतरे में पड़ सकते हैं. रूसी एमआई 25 हेलिकॉप्टरों की मदद से अल सकूर में हमला किया गया. 18 जुलाई को विद्रोहियों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क पर हमला किया था जिसमें रक्षा मंत्री सहित असद के करीबी तीन अधिकारियों की मौत हो गई. उस वक्त ऐसा लग रहा था कि असद का देश पर नियंत्रण कम हो रहा है.
शुक्रवार को भी लोगों के मारे जाने की खबरें आ रही हैं. अलेपो में ही 34 लोग मारे गए. कार्यकर्ता अबू मुहम्मद अल हबीबी के मुताबिक, "विद्रोही अब तक बच सके हैं लेकिन आम लोग हमलों का निशाना बने हैं." अल हबीबी के मुताबिक कई स्कूलों को राहत के लिए तैयार किया जा रहा है और बेघर लोग अपने इलाकों को छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जा रहे हैं. एक दूसरे कार्यकर्ता माजिद अल नूर ने रॉयटर्स को बताया कि विरोधियों ने अलेपो शहर के बाहर विद्रोहियों ने सैनिकों के एक शिविर पर हमला किया है.
"विद्रोही शहर के पूर्वी और पश्चिमी इलाकों में मौजूद है और शहर के केंद्र पर उन्होंने काबू पा लिया है. सरकारी सैनिक अलेपो के अंदर घुसने के रास्तों पर नियंत्रण पा चुके हैं और रिहाइशी इलाकों पर बम गिरा रहे हैं." नूर ने कहा कि अलेपो से हजारों लोग भाग रहे हैं और तुर्की में शरण ले रहे हैं.
उधर अमेरिका ने कहा है कि वह विद्रोहियों के लिए सहायता बढ़ा रहा है, हालांकि यह मदद केवल दवा और संपर्क के लिए जरूरी सामान तक सीमित होगी. इस बीच तुर्की ने सीरिया से शरणार्थियों के अलावा हर किसी के लिए सीमा को बंद कर दिया है. रूस का कहना है कि असद के परिवार ने सीरिया को 42 सालों तक संभाला है और असद को सत्ता से निकालने की कोशिशें शांति कायम करने में अड़ंगा साबित हो रही हैं. रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोव ने कहा है कि विद्रोहियों की मदद करना आतंकवाद को बढ़ावा देना है. वहीं जर्मनी का मानना है कि सीरिया को रूस और चीन से सहारा मिलना एक बड़ी परेशानी है.
एमजी/एजेए (डीपीए, रॉयटर्स)