सीरिया ने शांति प्रस्ताव नहीं माना
६ नवम्बर २०११गहरी नाराजगी जताते हुए अरब लीग ने रविवार को बयान जारी कर कहा, "सीरिया शांति समझौते का पालन नहीं कर रहा है." सीरिया ने अरब लीग से वादा किया था कि वह छह नवंबर तक सैन्य कार्रवाई बंद कर देगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
कतर के प्रधानमंत्री शेख हमद बिन जासमिन ने आगामी शनिवार को सीरिया के मुद्दे पर अरब लीग की बैठक बुलाई है. मिस्र की सरकारी समाचार एजेंसी मीना ने खबर देते हुए कहा है, "सीरिया के ताजा हालात को लेकर कतर के प्रधानमंत्री शेख हमद जासमिन ने शनिवार को अरब लीग काउंसिल के विदेश मंत्रियों की आपात बैठक बुलाई है."
बेअसर होता दबाव
बैठक में अरब एक्शन प्लान को लेकर सीरिया के वादे से मुकरने और वहां जारी हिंसा पर चर्चा की जाएगी. फ्रांस ने भी साफ कह दिया है कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद शांति योजना को नहीं मान रहे हैं. रविवार को फ्रांसीसी विदेश मंत्री एलायन जुप्पे ने कहा, "मुझे व्यक्तिगत तौर पर यह लग रहा है कि सुधार के एलान के बावजूद उनकी (असद) सत्ता से कोई उम्मीद करनी चाहिए."
इसी हफ्ते यह एलान किया गया था कि सीरिया ने अरब लीग के शांति प्रस्ताव को मान लिया है. समझौते के तहत छह नवंबर तक सीरिया को सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करना था. शहरों और गलियों से सेना और टैंकों की वापसी करनी थी और अरब व विदेशी पर्यवेक्षकों को निगरानी की अनुमति पर भी सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद ने सहमति जताई थी.
बर्बर दमन जारी
लेकिन मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि रविवार को भी सेना ने देश के कई शहरों में प्रदर्शनकारियों पर हमला किया. यह लगातार चौथा दिन है जब सीरियाई सेना ने बल का प्रयोग किया है. रविवार को सेना ने होम शहर के मध्य में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर फायरिंग की. विरोध प्रदर्शन की धुरी बन चुके होम में आठ लोगों की मौत हुई. सीरिया में मानवाधिकारों पर नजर रखने वाली संस्था के मुताबिक सेना ने बाबा अमरो में ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं.
देश के उत्तरी छोर पर बसे शहर हमा में भी प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करने की खबर है. वहां एक व्यक्ति की मौत हो गई. तुर्की की सीमा से सटे इस शहर में बीते कई महीनों से सुरक्षाकर्मी गश्त लगा रहे हैं.
ब्रिटेन स्थित निगरानी संस्था के मुताबिक होम्स के पास तालबी शहर में "सुरक्षाकर्मियों की फायरिंग में चार प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं. एक की स्थिति नाजुक है."
सीरिया में इसी साल मार्च से सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रदर्शनकारी बशर अल असद को राष्ट्रपति पद से हटाने और लोकतंत्र बहाली की मांग कर रहे हैं.
पिता हाफिज अल असद की मौत के बाद असद सन 2000 में सीरिया के राष्ट्रपति बने. पद संभालते ही उन्होंने लोकतंत्र के वादे किए, राजनीतिक कैदियों को रिहा कर दिया. लेकिन वक्त बीतने के साथ वह यह कहने लगे कि लोकतंत्र तक पहुंचने का काम जल्दबाजी में नहीं होना चाहिए. विरोधी फिर से कैद किए जाने लगे. राजनीतिक मकसद के लिए सेना का इस्तेमाल किया जाने लगा. 11 साल बाद अब जब लोकतंत्र की बात हो रही है तो असद प्रदर्शनकारियों को कुचल रहे हैं.
रिपोर्ट: एपी, एएफपी/ओ सिंह
संपादन: एन रंजन