सीरिया पर बातचीत शुरू
१२ सितम्बर २०१३रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस कोशिश को अमेरिका के हाथों सीरिया पर "सैन्य कार्रवाई से बचने का मौका" कहा है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने रूसी राष्ट्रपति की राय उन्हीं के हवाले से छापी है. इसमें लिखा है, "अमेरिका, रूस और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सभी सदस्यों को रासायनिक हथियारों को खत्म करने के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण में देने की सीरियाई सरकार की इच्छा का फायदा उठाना चाहिए."
अमेरिकी विदेश मंत्री जेनेवा में चल रही इस बातचीत के जरिए रूसी सरकार के प्रस्ताव की गंभीरता का जायजा लेने की कोशिश में हैं. साथ ही सैद्धांतिक रूप से रूस के साथ इस पर आगे बढ़ने के लिए करार हासिल करने की भी कोशिश है. विदेश मंत्री के साथ मौजूद अधिकारियों के मुताबिक इन हथियारों की मात्रा का पता लगाने की कार्रवाई तुरंत शुरू कराने का इरादा है.
उधर रूसी विदेश मंत्री सेर्गेइ लावरोव का कहना है कि बातचीत में ध्यान प्रमुख रूप से "तकनीकी मुद्दों" पर है. लावरोव अमेरिकी इरादों पर संदेह जैसे किसी भी भाव से बचते रहे. जेनेवा के लिए रवाना होने से पहले लावरोव ने कहा, "बेशक यह तय करना जरूरी है कि सीरिया रासायनिक हथियारों की मनाही वाले समझौते में शामिल हो. सीरिया के रासायनिक हथियारों के डिपो और उसके कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देने से यह आगे बढ़ेगा. इसके आधार पर विशेषज्ञ उन डिपो और हथियारों के जखीरे की सुरक्षा के लिए उपाय सुझाएंगे." इसके अलावा उनका यह भी कहना है कि वह केरी के साथ सीरिया पर शांति सम्मेलन बुलाने से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा करना चाहते हैं. उनके मुताबिक इस सम्मेलन के लिए तैयारी अभी से शुरू हो सकती है अगर पश्चिमी देश सीरियाई विपक्ष को इसमें शामिल होने पर रजामंद करने में जुट जाएं.
अमेरिका को उम्मीद है कि सीरिया के रासायनिक हथियारों पर रूस के साथ समझौता संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक नए बाध्यकारी प्रस्ताव का हिस्सा हो सकता है. इससे इन हथियारों के इस्तेमाल की सूरत में सीरिया को जिम्मेदार ठहराया जा सकेगा. हालांकि रूस संयुक्त राष्ट्र की सीरिया पर कार्रवाई का विरोध करता रहा है. उसने तीन बार संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों को वीटो किया, कई प्रस्तावों को रोक दिया, कई निंदाओं को कमजोर बनाया और अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि नए प्रस्ताव का समर्थन करेगा.
आननफानन में बुलाई गई जेनेवा की बैठक ऐसे वक्त में हो रही है जब यह खबर सामने आई है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए सीरिया के विद्रोहियों को पिछले कई हफ्तों से छोटे हथियार दे रही है. इसी साल जून में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने यह बयान दिया था कि वह विद्रोहियों को हथियार देंगे. सीआईए ने तीसरे पक्ष के जरिए विद्रोहियों के लिए टैंक रोधी हथियार भी मुहैया कराए हैं. माना जा रहा है कि खाड़ी के किसी देश के जरिए विद्रोहियों को रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड दिए गए हैं. हालांकि विद्रोहियों के संगठन फ्री सीरियन आर्मी के प्रवक्ता लोए अल मिकदाद ने समाचार एजेंसी एपी से कहा है कि उन लोगों को अमेरिका से कोई हथियार अब तक नहीं मिला है लेकिन उन्हें जल्दी ही मिलने की उम्मीद है.
जॉन केरी के साथ अमेरिकी रासायनिक हथियारों के विशेषज्ञ भी आए हैं. लावरोव से मुलाकात के पहले जॉन केरी संयुक्त राष्ट्र और अरब लीग की तरफ से सीरिया के दूत बनाए गए लखदर ब्राहिमी से भी मिले. उधर रूसी हथियार विशेषज्ञ भी लावरोव के साथ बैठक में शामिल होंगे. अमेरिकी टीम में वो अधिकारी भी हैं जो 2003 में लीबिया से गैरपारंपरिक हथियारों को खत्म करने और खाड़ी युद्ध के बाद इराक के निरीक्षण में शामिल रहे थे.
एनआर/एमजे (एपी)