सूनामी से निपटने का अभ्यास
१४ अक्टूबर २००९बुधवार को हुए इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ़्रीका और मध्यपूर्व के देशों को सूनामी से निपटने के लिए तैयार करना है. 2004 में आई सूनामी के समय लोगों को किसी प्रकार की चेतावनी नहीं दी जा सकी थी जिससे भीषण तबाही हुई. इसमें दो लाख से भी ज़्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई और कई लाख आज तक टेंटों में अपना जीवन बिता रहे हैं.
यूनेस्को की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि इस अभ्यास के दौरान हवाई के प्रशांत सूनामी चेतावनी केंद्र और जापानी के मौसम विभाग से जुड़ी एजेंसी ने 9.2 तीव्रता वाले भूकंप और सूनामी का बुलेटिन जारी किया गया. इंडोनेशिया के आचेह प्रांत में एंबुलेंस देखकर तटीय इलाक़ों से बच्चे भागने लगे. 2004 में आई सूनामी के दौरान यहां एक लाख 68 हज़ार लोग मारे गए थे. एक इंडोनेशियाई नागरिक बख्तियार का कहना है कि ये परीक्षण सूनामी से आगाह कराने में मददगार ज़रूर साबित होगा लेकिन यह अभ्यास और एंबुलेंस के साइरन की आवाज़ उन्हें आज भी डराती है.
2004 की सूनामी में अपने 31 हज़ार लोगों को खोने वाले श्रीलंका में बुधवार को दक्षिणी और पूर्वी तटों पर लगभग 200 लोगों ने अपने मोबाइल फोन पर चेतावनी मिलने के बाद सुरक्षित जगहों पर जाने का अभ्यास किया. भारत में सूनामी चेतावनी प्रणाली अभ्यास के अध्यक्ष श्रीनिवास कुमार के अनुसार ड्रिल में आम नागरिकों को शामिल नहीं किया गया बल्कि आधिकारिक स्तर पर तालमेल पर ज़ोर दिया गया.
हिंद महासागर क्षेत्र में सूनामी चेतावनी प्रणाली संबंधी परियोजना की देख रेख कर रहे संगठन के मुताबिक अब यह पूरा क्षेत्र सूनामी संबंधी आंकड़े इकट्ठा कर सकता है और समय रहते सूनामी की चेतावनी भी प्रसारित कर सकता है. हिंद महासागर के अलावा कैरीबियाई द्वीपों और भूमध्य क्षेत्रों में भी ऐसी प्रणाली लगाने पर विचार किया जा रहा है.
बुधवार को जिन देशों में सूनामी चेतावनी प्रणाली का अभ्यास किया गया उनमें ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भारत, इंडोनेशिया, केन्या, मैडागास्कर, मलेशिया, मालद्वीव, मॉरिशस, मोज़ाम्बिक, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, सेशल्स, सिंगापुर, श्रीलंका, तंज़ानिया और पूर्वी तिमोर शामिल हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/तुनश्री सचदेव
संपादनः ए कुमार