सेक्स कोच के पास जाते रूसी
१० मई २०१९इरोटिक सेक्स टॉएज से घिरे कमरों में अकसर लोग मॉस्को में किसी इमारत के बेसमेंट में क्लास अटेंड करते हैं. दीवार पर व्हाइटबोर्ड के पास खड़ा सेक्स कोच उन्हें सिखाता है कि कैसे वे अपनी यौन इच्छाओं को खुल कर जाहिर करें. ऐसा ही एक कोर्स करने वाली एक "छात्रा", जो तलाकशुदा है और जिसकी उम्र करीब 45 साल है, बताती है, "अब तो मैं जानना ही चाहती हूं कि महिला की संतुष्टि क्या होती है. यौन सुख क्या होता है."
इस बारे में सार्वजनिक रूप से ना तो सोवियत काल में बात होती थी और ना ही हाल के सालों में जब सरकारें समाज में एक से एक दकियानूसी मूल्यों को बढ़ावा देने में लगी रही. ऐसे में सेक्स पर खुल कर बात करना तो दूर, उसका जिक्र भी मुश्किल से ही होता था. मगर आज कई टीवी कार्यक्रमों और महिला पत्रिकाओं में लोगों को उनकी शर्मिंदगी से बाहर निकल कर यौन सुखों के बारे में बात करने, सेक्सोलॉजिस्ट के साथ ट्रेनिंग कोर्स करने, साइकोलॉजिस्ट और तथाकथित सेक्स कोचों से परामर्श लेने को प्रेरित किया जा रहा है.
ऐसी ही एक साइकोलॉजिस्ट एवं सेक्सोलॉजिस्ट विक्टोरिया एकाटेरीना फ्रांक कहती हैं, "उनके कोर्स का लक्ष्य लोगों को सेक्स की मुद्राएं सिखाना नहीं बल्कि महिलाओं के दिमाग में गहरी बसी हुई सोच को बदलना है." वे बताती हैं कि कई महिलाएं तो "सेक्स के बारे में बात करने में इतनी शर्मिंदगी महसूस करती हैं कि उन्हें सांसें मुश्किल से आती हैं.
सोवियत संघ को टूटे हुए करीब तीन दशक हो गए हैं लेकिन रूसी समाज अब भी सेक्स के टैबू को लेकर उसी युग में जी रहा है. उस काल में इस विचार को बढ़ावा दिया गया कि "सेक्स केवल प्रजनन के लिए होना चाहिए." समाजशास्त्री येलेना कोचकीना बताती हैं, "इसका अर्थ ये हुआ कि यौनिकता को लेकर ना तो परिवार में और ना ही स्कूल में कोई बात होती थी."
भले ही सार्वजनिक रूप से बात ना हो लेकिन समाजशास्त्री दिमित्रि रोगोजीन कहते हैं कि सोवियत काल में लोग "शायद कुछ ज्यादा ही सेक्स कर रहे थे." रशियन एकेडमी ऑफ साइंसेज में पढ़ाने वाले प्रोफेसर रोगोजीन बताते हैं सोवियत काल में खूब गर्भपात करवाए जाते क्योंकि तब इसकी गोलियां या कंडोम उपलब्ध नहीं थे. 1990 के शुरुआती दशक तक यहां गर्भपात की दर दुनिया में सबसे ऊंची हो गई थी. फिर 1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ ही वहां सेक्स इंडस्ट्री अचानक फलनी फूलनी शुरु हो गई. सिनेमा और वीडियो कैसेट में कामुक फिल्में बिकने लगीं, उत्तेजक तस्वीरों वाली पत्रिकाएं और प्रचार पॉपुलर प्रेस का हिस्सा बन गए.
सेक्स कोच येलेना रिदकिना बताती हैं कि इस शुरुआती दिलचस्पी के धमाके के बाद लोगों को धीरे धीरे इससे बोरियत होने लगी. वे बताती हैं, "पिछले 10 सालों से देश की राजनीति में भी यौनिकता पर खुल बात करने के बजाए पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों को ही बढ़ावा देने पर जोर रहा है." हालांकि अब वे सेक्स से जुड़े मुद्दों को लेकर एक "असल मांग" उठती देख रही हैं. शायद यही वजह है कि रूस में सेक्स के बारे में ब्लॉगिंग करने का ट्रेंड भी जोर पकड़ चुका है. तीन साल पहले ऐसा ही एक ब्लॉग शुरु करने वाली तात्याना दिमित्रियेवा बताती हैं तब ऐसी कोई जगह नहीं थी जहां इस विषय पर गंभीरता से बात हो सके. वे कहती हैं कि "मैं इसे बदलना चाहती थी, इसके इर्दगिर्द संवाद शुरु करना चाहती थी."
आरपी/एए (एएफपी)