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सेना में भी महिलाओं को कामयाबी

१२ मार्च २०१०

भारतीय सेना के तीनों अंगों में महिलाओं को पर्मानेंट कमीशन यानी पक्की और पूरी नौकरी मिलेगी. दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि पुरुषों की तरह वह भी पांच साल बाद स्थायी कमीशन के लिए अर्ज़ी दे सकती हैं.

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तस्वीर: AP

भारतीय फ़ौज में महिलाओं को पहले सिर्फ़ 14 साल के लिए ही नौकरी पर रखा जाता था लेकिन इस नए फ़ैसले की वजह से उन्हें पेंशन और दूसरी सुविधाएं मिल सकेंगी. दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वे महिलाओं को स्थायी कमीशन दे.

सेना में तैनात मौजूदा और पूर्व महिला सैन्य अधिकारियों की अर्ज़ी पर जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता में अदालत की खंडपीठ ने यह फ़ैसला सुनाया. अदालत ने महिलाओं के पक्ष में अपना फ़ैसला करते हुए सरकार से कहा कि उन्हें सभी तरह के फ़ायदे मिलने चाहिए.

इससे पहले 14 दिसंबर को अदालत ने इस मामले में अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा था. भारत में मौजूदा नियमों के मुताबिक़ औरतों को सिर्फ़ शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत नौकरी दी जाती है और वे 14 साल से ज़्यादा सेना में काम नहीं कर पाती हैं. जबकि पुरुष अधिकारी पांच साल बाद पर्मानेंट कमीशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं.

पेंशन और दूसरी सुविधाएं पाने के लिए कम से कम 20 साल नौकरी करनी पड़ती है. इस तरह भारतीय सेना में काम करने वाली महिलाओं को ये सुविधाएं नहीं मिल पाती थीं. अदालत के फ़ैसले से उन महिलाओं को भी फ़ायदा होगा, जो हाल के दिनों में रिटायर हुई हैं. उन्हें फिर से नौकरी पर रखा जा सकता है. दिल्ली हाई कोर्ट का फ़ैसला भारतीय सेना के तीनों अंगों पर लागू होगा.

भारत की संसदीय प्रणाली में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण का रास्ता साफ़ होने के बाद महिलाओं की यह दूसरी बड़ी कामयाबी है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः आभा मोंढे