सोनिया गांधी को सबक सिखाना चाहते थे करातः सोमनाथ
२२ अगस्त २०१०सीपीएम के पूर्व नेता चटर्जी ने अपनी आत्मकथा में पार्टी के बारे में कई बातें लिखी हैं. सोमनाथ लिखते हैं कि 62 सांसदों के समर्थन से बेहद प्रभावशाली हो गए करात और सीपीआई के एबी बर्धन मानने लगे कि उनका फैसला सरकार के लिए पत्थर की लकीर होना चाहिए. सोमनाथ चटर्जी की आत्मकथा कीपिंग द फेथः मेमॉयर्स ऑफ अ पार्लियामेंटेरियन का लोकार्पण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को किया.
चटर्जी कहते हैं, "यूपीए सरकार में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने और सोनिया गांधी गठबंधन की अध्यक्ष बनीं. लेकिन जल्दी ही सरकार में शामिल सभी दलों को यह बात साफ हो गई कि 62 सांसदों वाले वाम दल 'ताज के पीछे की असली ताकत' की भूमिका निभाना चाहते हैं. उन्होंने यह संदेश देना शुरू कर दिया कि यूपीए सरकार सिर्फ उनके आशीर्वाद के सहारे ही टिक सकती है. खासतौर पर प्रकाश करात यह जाहिर करते रहे. इसे आम आदमी ने अहंकार ही माना."
81 साल के करात के मुताबिक कांग्रेस हर हाल में न्यूक डील करना चाहती थी और इसी बात ने प्रकाश करात को गुस्सा दिलाया. किताब के एक अध्याय द एक्सपल्शनः अ ग्रेट शॉक में चटर्जी लिखते हैं, "ऐसा लगा कि करात ने इसे अपनी बेइज्जती माना और फिर वह मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी को सबक सिखाने पर तुल गए."
10 बार लोकसभा के सदस्य रहे पूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी को 2008 में सीपीएम से निकाल दिया गया क्योंकि उन्होंने पार्टी के व्हिप को नहीं माना और सरकार से समर्थन वापस लेने के फैसले का साथ नहीं दिया.
किताब में चटर्जी कहते हैं, "मुझे लगता है कि प्रकाश करात इतने ज्यादा दुखी थे कि उन्हें समझ में ही नहीं आया कि समर्थन वापस लेने के क्या नतीजे होंगे."
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ओ सिंह