सोशल नेटवर्किंग साइटों की 'सफाई' का आदेश
२४ दिसम्बर २०११कोर्ट ने जिन वेबसाइटों को आदेश दिया है उनमें फेसबुक, गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट समेत 22 सोशल नेटवर्किंग साइट शामिल हैं. दिल्ली कोर्ट के अतिरिक्त सिविल जज मुकेश कुमार ने 20 दिसंबर को सोशल नेटवर्किंग साइटों को समन जारी किया था. इन कंपनियों को आदेश पूरा करने के लिए डेढ़ महीने का समय दिया गया है. कोर्ट ने यह फैसला मुफ्ती एजाज अरशद कासमी की शिकायत पर दर्ज हुए मामले की सुनवाई के दौरान सुनाया. कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक जज आपत्तिजनक बातों, तस्वीरों और वीडियो से भरी एक सीडी दिखाई गई. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "अगर प्रतिवादी को सोशल नेटवर्किंग साइटों से आपत्तिजनक चीजें हटाने के लिए नहीं कहा जाएगा तो न केवल शिकायत करने वाले बल्कि हर उस व्यक्ति की जिस की धार्मिक भावनाएं इनसे जुड़ी हैं, उन्हें ऐसी चोट पहुंचेगी जिसे ठीक कर पाना मुमकिन नहीं होगा."
22 वेबसाइटों में केवल याहू और माइक्रोसॉफ्ट कोर्ट में हाजिर हुए और कहा कि उन्हें कोर्ट के आदेश की कॉपी नहीं मिली है. उन्होंने कोर्ट से दरख्वास्त की कि उन्हें शिकायत और आदेश की कॉपी मुहैया कराई जाए. मुफ्ती एजाज अरशद के वकील संतोष पाण्डेय ने कोर्ट को यह भरोसा दिया कि वह कंपनियों को शिकायत की कॉपी और दूसरे दस्तावेज मुहैया कराएंगे. कोर्ट की कार्यवाही के बाद संतोष पाण्डेय ने पत्रकारों से कहा कि आदेश पर अमल करने के बाद वेबसाइटों को इसकी रिपोर्ट छह फरवरी तक दायर करनी है. उन्हें कोर्ट को बताना है कि उनके पन्नों से हर तरह की आपत्तिजनक और धर्मों का अपमान करने वाली चीजें हटा ली गई हैं. कोर्ट ने 20 तारीख को आदेश जारी कर कहा था कि तस्वीरें, टेक्स्ट या वीडियो के रूप में कोई भी ऐसी चीज जो लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकती हैं, उन्हें हटा लिया जाए.
जिन वेबसाइटों को कोर्ट ने आदेश दिया है उनमें फेसबुक इंडिया, फेसबुक, गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गूगल ऑर्कुट, यूट्यूब, ब्लॉगस्पॉट, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, माइक्रोसॉफ्ट, जॉम्बी टाइम, एक्रोबी, बोर्डरीडर, आईएमसी इंडिया, माई लॉट, शायनी ब्लॉग और टॉपिक्स भी हैं.
कोर्ट का फैसला ऐसे वक्त में आया है जब भारत में टेलीकॉम मंत्री कपिल सिब्बल के सोशल नेटवर्किंग साइटों पर लगाम कसने के बारे में दिए बयान से बवाल मचा है. कपिल सिब्बल ने इन साइटों पर डाली गई चीजों पर निगरानी रखने की बात कही थी.
रिपोर्टः पीटीआई/एन रंजन
संपादनः एम गोपालकृष्णन