स्कार्फ बांध कर पढ़ें खबर
३ सितम्बर २०१२न्यूज रीडर फातमा नाबिल पहली बार दोपहर के कार्यक्रम में हेडस्कार्फ के साथ आईं. हुस्नी मुबारक की सत्ता के दौरान ऑन स्क्रीन स्कार्फ कोई नहीं पहनता था. महिलाएं सिर्फ कैमरे के पीछे स्कार्फ के साथ काम कर सकती थीं.
अब न्यूज एडिटर नाबिल के साथ तीन और महिलाओं ने स्क्रीन टेस्ट पास कर लिया है और वह स्कार्फ के साथ टीवी पर दिखाई देंगी.
नए सूचना मंत्री सलाह अब्देल मकसूद का कहना है कि उन्हें कोई कारण नहीं दिखाई देता कि हिजाब के कारण महिलाएं समाचार नहीं पढ़ सकतीं.
मिस्र में आम महिलाओं का स्कार्फ पहनना सामान्य बात है लेकिन इसके लिए किसी को कोई जोर जबरदस्ती नहीं हैं. यह निजी फैसला है. इसे सरकारी मीडिया में स्वीकार नहीं किया जाता था क्योंकि मुबारक ने इस पर रोक लगा कर रखी थी. इसके लिए उनकी धार्मिक संगठनों ने आलोचना भी की थी.
जनवरी में एक प्रशासनिक अदालत ने हिजाब पर प्रतिबंध को खारिज कर दिया. 1960 में मिस्र के टीवी शुरु होने से अब तक स्क्रीन पर एक भी महिला ने स्कार्फ नहीं पहना था.
मुस्लिम ब्रदरहुड के दैनिक अखबार फ्रीडम एंड जस्टिस में नाबिल ने इस बदलाव को अच्छा बताते हुए कहा कि इससे अजीब हालात खत्म हो जाएंगे. डेल्टा वर्ल्ड नाम के अखबार से बातचीत में नाबिल ने बताता, "हिजाब पहनी हुई पत्रकारों के साथ भेदभाव किया जाता था."
हालांकि सभी लोग इस बदलाव से खुश नहीं हैं. उन्हें डर है कि यह शरिया कानून लागू होने की दिशा के शुरुआती कदम हैं. समाचार एजेंसी डीपीए ने टीवी पत्रकार मोना सलमान के हवाले से लिखा है, "मुझे लगता है कि लहर बदल रही है. कभी ऐसा होगा कि बिना हिजाब वाली महिलाओं को टीवी पर आने की रोक लगा दी जाएगी."
एएम/एनआर (डीपीए, एएफपी)