स्पेन में बनेगा शैवाल से ईंधन
१ अप्रैल २०११इस तेल को बनाने के लिए 400 नलियों में करोड़ों सूक्ष्म शैवालों को कार्बन डाइऑक्साइड के साथ मिलाया जा रहा है. अभी इस प्रोजेक्ट को टेस्ट के तौर पर चलाया जा रहा है. इसे बनाने में पांच साल से अधिक का समय लगा. बायो फ्यूल सिस्टम्स कंपनी में स्पेन और फ्रांस के वैज्ञानिकों ने मिलकर इसकी रचना की है.
प्राकृतिक रूप से तेल को बनने में करोड़ों सालों का समय लग जाता है. आधुनिक दुनिया में तेल की खपत इतनी अधिक है, कि इस से निपटने के लिए वैज्ञानिक लम्बे समय से ऐसे विकल्प खोज रहे हैं, जिनसे कम समय में ही तेल बनाया जा सके. यदि यह प्रशिक्षण सफल हो जाता है तो तेल निर्माण में यह मील का पत्थर साबित हो सकता है. इस प्रोजेक्ट में काम करने वाले एक इंजीनियर एलॉय चपुली ने बताया, "हम ऐसी परिस्थिति बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जैसी करोड़ों साल पहले थी, जब फायटोप्लांक्टॉन या पादप प्लवक तेल का रूप लेने लगे थे. ऐसा करने से हम बिलकुल वैसा ही तेल बना पाएंगे जैसा आज इस्तेमाल होता है."
पर्यावरण को फायदा
पाइप के अंदर मौजूद शैवाल में कार्बन डाइऑक्साइड की मदद से फोटोसिंथेसिस होता है जिसके चलते शैवाल बहुत ही तेजी से बढ़ती रहती है. इस तरीके का एक फायदा यह भी है कि क्योंकि एल्गी कार्बन डाइऑक्साइड का इस्तेमाल कर लेती है, इसलिए पर्यावरण प्रदूषण में भी कमी आती है. कार्बन डाइऑक्साइड वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होता है. इसकी कमी से हवा साफ हो सकती है. यही वजह है कि बायो फ्यूल सिस्टम्स के निदेशक फ्रांस के बेर्नार्ड ष्ट्रोएआत्सो मूजां इसे पर्यावरणीय तेल कहते हैं. मूजां ने बताया कि टेस्ट पूरा होने के बाद भी तेल का उत्पादन शुरू होने में अभी पांच से दस साल तक लग सकते हैं.
स्पेन के बाद मूजां ऐसा ही एक प्रोजेक्ट पुर्तगाल में शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं. मूजां कहते हैं, "50 वर्ग किलोमीटर की एक यूनिट में हम प्रति दिन दस लाख बैरल से भी ज्यादा तेल का उत्पाद कर पाएंगे और स्पेन में जहां इतनी सारी बंजर जमीन पड़ी है, वहां के लिए यह जगह बहुत बड़ी नहीं है." अब तक कई कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट में अपनी रुची दिखाई है, खासतौर से वैमानिकी के क्षेत्र से, जहां तेल का विकल्प मिलना एक वरदान जैसा है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया
संपादन: आभा एम