स्वतंत्र दाइयों वाली लंबी परंपरा अब खतरे में
२ जुलाई २०१०गर्भवती महिलाएं प्रसव के समय खुद उन्हें मदद के लिए बुलातीं हैं. बहुत सारी दाइयां कहतीं हैं कि प्रसव के समय ही नहीं, उससे पहले और उसके बाद भी महिलाओं को मार्गदर्शन देने और मां-बच्चे की देखभाल करने से उन्हें बड़ी खुशी मिलती है. इससे उन्हें अपना जीवन सार्थक लगता है. लेकिन जर्मनी में एक नए कानून की वजह से किसी दूसरे का नुकसान हो जाने पर जवाबदेही का बीमा बहुत बहुत मंहगा हो गया है. इससे स्वतंत्र दाइयां भी मुश्किल में पड़ गईं हैं-- यानी स्वतंत्र दाइयों वाली लंबी परंपरा अब खतरे में हैं.
लिज़ा फ़ॉन राईशे दाई हैं. जिस महिला और उसके 10 दिन पहले जन्मे बेटे के पास वह आज जा रहीं हैं, उन्हे वह तीन साल से जानतीं है. तीन साल पहले नीना सांचेज़ की बेटी भी लिज़ा फ़ॉन राईशे की मदद से घर में ही पैदा हुई थी. 1960 के दशक तक जर्मनी में भी यह आम बात थी कि महिलाएं अपने घर पर ही बच्चे पैदा करतीं थीं. इस वक्त सिर्फ दो फीसदी महिलाएं ऐसा फैसला करती हैं. अध्ययनों के मुताबिक ऐसी कोई बात नहीं है कि घर में प्रसव अस्पतालों की अपेक्षा ज़्यादा जोखिम भरा है. इसके अलावा यदि समय से पहले गर्भस्राव हो जाये, तब भी प्रसूति सहायक दाई घर पर आ कर देखभाल कर सकती है. नीना सांचेज़ अपना बच्चा घर में पैदा करने के अलावा किसी और चीज़ की कल्पना ही नहीं कर सकतीं.
मेरे लिए यह हमेशा बिल्कुल साफ़ था कि मै अपने बच्चों को घर रह कर ही पैदा करुंगी. मै बहुत खुश हूं कि मुझे लीज़ा जैसी दाई मिली है.अस्पताल में अलग अलग लोग अलग अलग बाते करते हैं-- यहां तक कि डॉक्टर भी. मैंने कई बार बड़ी परस्परविरोधी बातें सुनी हैं. - नीना सांचेज़
दाई लीज़ा फ़ॉन राईशे का कहना है कि जर्मनी में बच्चा पैदा करने के विषय को लेकर काफी बदलाव देखने को मिला है. इस पर वह काफी चिंतित हैं.
गर्भावस्था को आजकल बीमारी जैसा बना दिया गया है. यदि आप किसी मां के स्वास्थ्य वाली मातृत्व पुस्तिका देखें, तो वहां आप निशान लगे पायेंगे कि उसके परिवार में क्या-क्या बीमारियां रही हैं, लोगों की क्या उम्र रही है. यह सब ऐसी कसौटियां हैं, जिनका एक स्वस्थ गर्भवती महिला की प्रसवक्रिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. - लीज़ा फ़ॉन राईशे
1200 यूरो यानी करीब 60 000 रुपए कमाने के लिए दाईयों को जर्मनी में चौबीसों घंटे तैयार रहना पडता है. उनसे यह वचन लिया जाता है कि आपात स्थिति में वे आधे घंटे के अंदर गर्भवती महिला के पास पहुंच जायेंगी. लेकिन दाई के काम के साथ कई जोखिम भी जुडे हुए हैं..
दाई से यदि कोई स्वास्थ्य संबंधी ग़लती हो जाये, तो उसे 30 साल तक जवाबदेह ठहराया जा सकता है उसकी ग़लती से यदि किसी विकलांग बच्चे का जन्म होता है, तो इससे उपजे ख़र्च और मुआवज़े की राशि दसियों लाख यूरो में जा सकती है.इसीलिए, दाइयों के लिए जवाबदेही बीमे की फ़ीस पिछले वर्षों में काफ़ी बढ़ गयी है. एक जुलाई 2010 से यह फ़ीस 3700 यूरो वार्षिक हो गयी है. म्यूनिख की एक बीमा दलाली कंपनी सेक्यूरोन के संचालक बैर्न्ड हेन्डगेस का कहना है कि स्वतंत्र रूप से काम करने वाली अधिकतर दाइयां यह फ़ीस नहीं दे सकतीं
किसी दाई की पूरे समाज के प्रति ज़िम्मेदारी होती है. हर महिला को खुद फैसला करना चाहिए कि वह घर में, अस्पताल में या कहीं और अपने बच्चे को जन्म देना चाहती है. लेकिन यह देखते हुए कि कितनी स्वतंत्र दाइयों ने इस बीच अपने बीमे रद्द कर दिये हैं, क्योंकि वे इतनी बड़ी रकम नहीं जुटा सकतीं, यह एक बहुत ही गंभीर है स्थिति है. - बैर्न्ड हेन्डगेस
लीज़ा फ़ॉन राईशे का कहना है कि उन्हें अपने पेशे से बहुत लगाव है. शायद इसीलिए उन्होंने नए नियम से प्रभावित कुछ दूसरी दाइयों के साथ मिलकर प्रदर्शन भी किया. उन्होने संसद में एक ज्ञापन तक भेजा है कि स्वतंत्र दाइयों की स्थिति पर गौर किया जाए. उनको और उनके साथियों को उम्मीद है कि वे राजनैतिक स्तर पर समर्थन जुटा सकते हैं और जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्रालय को शायद झुका भी सकते हैं. साथ ही वे यह भी चाहते हैं कि उन्हें अपने जोखिम भरे काम के लिए पर्याप्त पैसा मिले. लिज़ा राईशे का सुझाव हैं कि दाई की किसी भूल से नुकसान हो जाने का मुआवज़ा टैक्स के पैसे से दिया जा सकता है.
ज़िदगी में जानलेवा ख़तरे भी हमेशा ही रहेंगे, मैं चाहे जितने बीमे करा लूं. हमें यह देखना होगा कि इस पेशे के हम थोड़े-से लोगों को ही सारे जोखिम उठाने पड़ेंगे या इसका भार सबके कंधों पर डाला जा सकता है. - लीज़ा फ़ॉन राईशे
रिपोर्ट: प्रिया एस्सेलबोर्न
संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य