स्वाइन फ्लू बन सकता है ड्रग रेसिस्टेंट महाफ्लू
१६ सितम्बर २०१०एक शोध में डॉक्टरों ने कहा है कि इससे पता चलता है कि इन्फ्लुएंजा के इलाज के लिए दवाइयों के कारगर होने की अपनी सीमा है. हालांकि सिंगापुर में स्वाइन फ्लू से पीड़ित ये महिला ठीक हो गई लेकिन 48 घंटों के अंदर स्वाइन फ्लू के वायरस में बदलाव हुआ और उस पर टेमिफ्लू बेअसर होने लगी. फ्लू के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाई का जेनेरिक नाम ओसेलटैमिविर है.
सिंगापुर में शोध और तकनीक संस्थान ने इमर्जिंग इन्फेक्शियस डीसीज जरनल में लिखा है, "हमारे डेटा से पता चलता है कि ओसेलटैमिविर प्रतिरोध दो दिन के अंदर पैदा हुआ."
वैसे एच1एन1 वायरस की महामारी खत्म हो गई है लेकिन इस वायरस ने सामान्य सीजनल फ्लू के साथ हाथ मिला लिया है जिसके कारण फ्लू लगातार खतरनाक होता जा रहा है. 2008 में एच1 एन1 के जैसे एक वायरस पर टैमिफ्लू ने काम करना बंद कर दिया और अब इस दवाई का इस वायरस के इलाज में इस्तेमाल ही नहीं किया जा सकता.
वैज्ञानिक इस तथ्य को जानते हैं कि उस फ्लू का वायरस तेजी से बदल सकता है और इसके अधिकतर प्रकार पहले ही दवाओं को बेअसर कर चुके हैं.
जब मार्च 2009 में एच1 एन1 से दुनिया भर में लोग बीमार होना शुरू हुए तो डॉक्टरों को लगा कि ये पहले से भी बुरा प्रभाव करेगा. सिंगापुर में शुरू से ही मरीजों को टैमिफ्लू दवाई दी जाती है. लेकिन डॉक्टर चौकस हैं कि वायरस में एक खास तरह का एच275 वाय जेनेटिक म्यूटेशन हो सकता है जिस कारण उस पर टैमिफ्लू असर करना बंद कर देती है. सिंगापुर में इस मरीज के वायरस सैंपल से पता चलता है कि दवाई शुरू करने के 48 घंटे में वायरस का रूप बदल गया. डॉक्टरों ने लिखा है, "महामारी के आंकड़े चाहे जो कहते हों, डॉक्टरों को ध्यान रखना चाहिए कि अगर मरीज पर दवाई असर नहीं कर रही है तो एच1 एन1 में जेनेटिक म्यूटेशन हो गया है और ये रातों रात हो सकता है. जैसा कि हाल के मामले में सामने आया है."
एक और फ्लू की दवाई है जिसे ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन और बियोटा रिलेन्ज ने बनाया है. इसका जेनेरिक नाम जैनामिविर है. वहीं एक बायोटेक कंपनी बायोक्रिस्ट एक और फ्लू ड्रग बना रही है जिसका नाम पैरामिविर है.
रिपोर्टः एजेंसियां आभा एम
संपादनः एस गौड़