हारी बाजी को जीतने की कोशिश में बायर्न म्यूनिख
६ मार्च २०११यूरोप में फुटबॉल वैसा ही धर्म है, जैसा भारत में क्रिकेट. जर्मनी के गली मुहल्लों में राजनीति से कहीं ज्यादा चर्चा उनके लीग फुटबॉल मैचों की होती है. अलग अलग शहरों के नाम पर तय टीमों की जीत हार पर हर हफ्ते करोड़ों का सट्टा लगता है.
जर्मनी में सबसे बड़ी, ताकतवर और सफल टीम है म्यूनिख की, बायर्न म्यूनिख. न सिर्फ जर्मनी, बल्कि पूरे यूरोप और यहां तक कि भारत में इस टीम की चर्चा होती है. वजह है इसमें शामिल अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल स्टार. जर्मनी के बड़े सितारे इसी टीम में खेलते हैं और दूसरे देशों के भी बड़े नाम यहीं पांव चलाते हैं. यह यूरोप की चौथी सबसे महंगी टीम भी है.
बायर्न म्यूनिख को जितना प्यार मिलता है, उसकी नाकामी जर्मनी के लोगों में उतना ही गुस्सा भी भरती है. लाल वर्दी वाली म्यूनिख के लिए पिछला साल जहां लबालब कामयाबी का था, वहीं इस साल उसकी हालत खराब है. जर्मनी के बड़े फुटबॉल क्लब हर साल तीन बड़े खिताब जीतने की तमन्ना लिए ग्राउंड पर उतरते हैं. जर्मन फुटबॉल लीग बुंडेसलीगा, जर्मन राष्ट्रीय फुटबॉल कप डीएफबी पोकाल और यूरोप की सबसे बड़ी लीग चैंपियनशिप चैंपियनंस लीग.
पिछले साल म्यूनिख ने बुंडेसलीगा जीता, फिर जर्मन कप जीता और चैंपियंस लीग के फाइनल तक पहुंची. अनुमान लगाया जा सकता है कि कितना नाम हुआ होगा. नीदरलैंड्स के कोच लुई फान गाल रातों रात हीरो बन गए और टीम में शामिल जर्मन स्टार क्लोजे, लाम, मुएलर, श्वान्श्टाइगर और गोमेज की तूती बोलने लगी. यहां खेल रहे फ्रांस के रिबेरी और नीदरलैंड्स के आर्यन रोबेन को भी खूब प्यार मिला.
लेकिन इस साल टीम के सितारे गर्दिश में हैं. हांफती कांपती टीम ने किसी तरह जर्मन कप डीएफबी पोकाल के सेमीफाइनल तक तो जगह बनाई लेकिन वहां उसे हार का सामना करना पड़ा. एक कप गया. बुंडेसलीगा में लगातार हार के बाद वह ऐसी जगह पहुंच गई है, जहां से चैंपियनशिप जीतना असंभव हो गया है. दूसरा खिताब गया. अब बचा है सिर्फ चैंपियंस लीग.
बायर्न म्यूनिख चैंपियंस लीग के आखिरी सोलह में जगह बना चुकी है. पिछले मैच में इंटर मिलान को हरा भी चुकी है, जिससे पिछले साल वह फाइनल हारी थी. लेकिन लंबा सफर बाकी है. उसे अभी मिलान से एक मैच और खेलना है, जिसके बाद क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल का रास्ता तय करना होगा. लगातार मिल रही हार से दबाव कितना बनेगा और टीम उससे कितनी जूझ पाएगी, बताना मुश्किल है. वैसे चैंपियंस लीग में अभी मैनचेस्टर यूनाइटेड, रियाल मैड्रिड, चेल्सी और बार्सिलोना जैसी मजबूत टीमें बची हुई हैं.
अगर जीत के साथ टीम की तारीफ होती है, लोग पसंद करते हैं, तो सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि हार के साथ क्या होता होगा. शायद यही वजह है कि जो कोच पिछले साल हीरो बन कर उभरे थे, हार के साथ साथ उनकी विदाई का भी रास्ता खुलता जा रहा है.
रिपोर्टः ए जमाल
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन